Sunday, January 8, 2012

आँख में उपयोगी ...सत्यानाशी का पौधा

कल मैं मम्मी के साथ बाहर धूप में बैठी थी और मम्मी ने देखा कि में आँखें जल्दी-जल्दी झपक रही थी ... मम्मी ने कहा की मेरी दादी यानी कि मेरी मम्मी की दादी जिनका जन्म १८८० में हुआ होगा ॥
ज़ब भी किसी की आँख में दर्द होता तो उसकी आँखों में सत्यानाशी पौधे का दूध डालती थी ..मैंने झट कंप्यूटर ओं कर सत्यानाशी का पौधा गूगल किया और मुझे याद भी आ गया कि हमारे खेतों, बाड़ों के डोलों पर यह पौधा खूब होता था ..
सत्यानाशी का पौधा
और मुझे यह नीचे दी जानकारी भी मिली ..

विलुप् हो गई जड़ी-बूटियां

http://www.chauthiduniya.com/2010/12/bilupt-ho-gayi-jadi-butiyaan.html

यह ऊपर दिये लिंक में पाया.........

कानपुर में पाया जाने वाला पुनर्नवा, जो आंत की बीमारी और मुंह के छाले में लाभदायक होता है, भी दुर्लभ है. स्वप्नदोष की बीमारी में लाभदायक धतूरा और आंख की बीमारी में उपयोगी सत्यानाशी का दूध भी खोजे नहीं मिल रहा. इसका उपयोग दाद-खाज की दवा के रूप में भी किया जाता है. धान के खेतों में स्वत: उगने वाली गोरखमुंडी ही नहीं, पीलिया की अचूक दवा अमरबेल या आकाशबेल को भी हम सहेज कर नहीं रख पाए. हर जगह मिलने वाली मकोई रसभरी अब खोजे नहीं मिलती. चोपन के जंगलों में पाई जाने वाली वनकवाच या काली कांच की जड़ भी अब हमारे लिए बीते दिनों की बात होती जा रही है. वनकवाच की जड़ पीस कर पीने से स्वप्नदोष और नपुंसकता की बीमारी दूर होती है.

विकी पीडिया में इसका कटिया बताया गया है..

भटकटैया - विकिपीडिया

नीचे लिंक में भी इस पौधे की जानकारी है

http://pratikriyaa.blogspot.com/2008/09/35.html

सच है कि बिना पढ़े लिखे भी कैसे यह दादी- नानी के नुस्खों का खजाना मूह -जुबानी ट्रांसफर होती रहती है..जरूरत है कि इन्ह्ने लिख कर सहेजना और इनका उपयोग करना॥
शब्बा खैर!!!

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