Sunday, February 5, 2012

आई बहार फूलों की.....

मैंने खूब सारी ऊन खरीदी है .....
यह लाल ,ग्रे, जामनी, हरी, नाभी(मैरून) मुझे हरियाणवी गीत की वह पंक्ति याद दिलाती है....
जो इस तरह है...
हरी ये गुलाबी, नाभी छिंट (प्रिंटेड-कपड़ा)
दामण में बाजणा नाड़ा सै ॥
ओढ ऐ पहर पाणी नै चाली,
रस्ते में जेठ गिरकाणा सै।
घेराँ में आइये मेरा जेठ ॥
ओडे जेठ तैने समझाउंगी.....आगे फ़िर कभी
और फ़िर बसंत भी बसंत पंचमी के बाद भारत की धरती पर पहुँचने वाली है...

फ़िर क्यों ना कुछ बसंती रंगों में बनाया जाय...
देखिये पास से इस रंग योजना में कुछ बनाएं तो उसे क्या ....
फिलाहल मैंने जो सोचा है इससे बनाने के लिया ...ज़रा नीचे का लिंक चटकाएं...
फूलों की बहार है यह

हैप्पी डे!

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