Monday, March 19, 2012

आज विश्व गोरिया दिवस है.....

नवम्बर २०११ की २५ तारीख की बात है ..बेटा बाहर बालकनी में खडा था ...एकदम अन्दर आया मम्मी देखो हमारे बाहर केबल की तार पर गौरिया ....में भागी-भागी गई और निहारा कि उसका साथी भी पहुंचा...
फ़िर बेटे ने अपने मोबाईल पर तास्विरें खिंची .............देखिये नीचे केबल की तार पर गोरिया .....



ऊपर देखिये गमलों पर की केबल तार पर गोरिया का जोड़ा... जयादा पढ़ने के लिये नीचे का लिंक चटकाएं .......

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कुछ लोग जो इसे बचाने में लगे हैं...

घरों में पायी जाने वाली गौरैया के बारे में अनगिनत कविताएं, गीत, लोरियां, लोकगीतों और चित्रों की हमारी विशद परम्परा है लेकिन आज इस पक्षी का जीवन संकटमय हो गया है। एक लंबा समय बीत गया जब हमने गौरैया की चीं ची की ध्वनि और उसका नृत्य देखा हो

गुजरात के एक सेवानिवृत्त वन अधिकारी के इस गौरैया को बचाने की कोशिशों से प्रेरणा पाकर एक आंदोलन की शुरूआत हुयी है इसमें लोगों ने इस पक्षी और तोतों एवं गिलहरियों के लिए घोंसलों का निर्माण किया ये घोसलें मिट्टी या पुराने बक्सों की मदद से बनाए गए और इन्हें बाद में पेडों, खेतों, मैदानों यहां तक कि आवासीय बंगलों में टांग दिया गया इंसानों के बनाए इन घोसलों में पानी और खाने के लिए दाने तक रख दिए गए।

विश्व भर में अपनी पहचान रखने वाली इस गौरैया का विस्तार पूरे संसार में देखने को मिलता है लेकिन पिछले कुछ सालों में इस चिड़िया की मौजूदगी रहस्यमय तरीके से कम हुयी है। पतझड़ का मौसम हो या सर्दियों का यह पक्षी हम सालों साल से अपने बगीचों में अक्सर देखने के आदी रहे हैं लेकिन अब सप्ताह के हिसाब से समय बीत जाता है और इस भूरा पक्षी देखने को नहीं मिलता इससे अनायास ही मुझे अपने विद्यालय के उन पुराने दिनों की याद ताजा हो जाती है जब मैनें महान हिन्दी कवियत्री महादेवी वर्मा की गौरैया नामक कविता पढी थी उस समय यह अजूबे से कम नही था क्योंकि कविता राजा या किसी महान नेता के बारे में नहीं बल्कि एक साधारण से पक्षी को केंद्र में रखकर लिखी गयी थी कवि सुब्रहमण्यम भारती ने भी कहा है ..आजादी की चिड़िया ..

यह चिड़िया शहरों. घरेलू बगीचों. घरों में खाली पडी जगहों या खेतों में अपना घर बनाती है और वहीं प्रजनन भी करती है यह पक्षी अब शहरों में देखने को नहीं मिलता हालांकि कस्बों और गांवों में इसे पाया जा सकता है गौरैया को भले ही लोग अवसरवादी चिड़िया कहें लेकिन आज यह चिड़िया पूरे विश्व में अन्य पक्षियों के साथ अपने जीवन को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है गौरैया की जनसंख्या नीदरलैंड में इतनी गिर चुकी है कि इसे अब रेड लिस्ट में डालने पर विवश होना पड़ा है

भारत में भी इस चिड़िया की जनसंख्या में हाल के वर्षो में भारी गिरावट दर्ज की गयी है यूरोप महाद्वीप के कई जगहों पर पायी जाने वाली गौरैया की तादाद में यूनाइटेड किंगडम. फ्रांस. जर्मनी. चेक गणराज्य. बेल्जियम .इटली और फिनलैंड में खासी कमी पायी गयी है

घरेलू गौरैया को एक समझदार चिड़िया माना जाता है और यह इसकी आवास संबंधी समझ से भी पता चलता है जैसे घोसलों की जगह. खाने और आश्रय स्थल के बारे में यह चिड़िया बदलाव की क्षमता रखती है विश्वभर में गाने वाली चिड़िया के नाम से मशहूर गौरैया एक सामाजिक पक्षी भी है तथा लगभग साल भर यह समूह में देखा जा सकता है गौरैया का समूह 1.5 से दो मील तक की दूरी की उडान भरता है लेकिन भोजन की तलाश में यह आगे भी जा सकता है गौरैया मुख्य रूप से हरे बीज. खासतौर पर खाद्यान्न को अपना भोजन बनाती है लेकिन अगर खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है तो इसके भोजन में परिवर्तन जाता है इसकी वजह यही है कि इसके खाने के सामानों की संख्या बहुत विस्तृत है यह चिड़िया कीड़ो मकोड़ों को भी खाने में सक्षम है खासतौर पर प्रजनन काल के दौरान यह चिड़िया ऐसा करती है

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शब्बा खैर!!!

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