Tuesday, April 10, 2012

सुबह का आज का नास्ता! सिर्फ मेरा ............

कल बड़ा तूफ़ान और बरसात की बूंदों वाला दिना था...........तापमान जरुर कम और मौसम सुहावना हो गया था .....फलस्वरूप माँ को खिचड़ी खाने का मन हुआ वो भी बाजरे की फिर क्या था? बनाई गई बाजरे की खिचड़ी और फिर बची हुई सुबह का नास्ता ...देखिये खिचड़ी की खुरचन (पैंदे पर चिपकी हुई खिचड़ी) जिसे हमारे हरियाणा के गाँव में खुरचन कहा जाता है और इसे जिस चीज से खुरच कर निकाला जाता है उसे खुरचना कहते हैं......फिर कभी गाँव गई तो खुरचने की तस्वीर जरुर ब्लॉग में डालूंगी ...जिसबर्तन में इसे परोसा जाता है/ इधर मेरी नास्ते की तस्वीर बेले/कचोले में खुरचन ........

पैंदे में खिचडी कुछ ज्यादा ही पाक जाती है....गैस बंद करने के बाद भी बर्तन का सेक पाकर वह क्रिस्पी (भुन जाती है) हो जाती है और बहुत स्वादिस्ट लगती है

दही के साथ परोसी यह खिचड़ी ठंडी ही बहुत स्वादिस्ट लगती है.......देखने में भली नहीं ....मुझे मेरे बेटे के सामने इसे चटकारे लेकर खाने में ज़रा कोफ़्त होती है.....
यह उबला खाना बनाईये और खाईये बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट है...बनाने का तरी का कुछ यादों के साथ यहाँ है.

बिटिया के लिए कुछ पढ़ने का मादा
शब्बा खैर!

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