Tuesday, May 1, 2012

मेरा सिर दर्द , एक साहित्यकार, एक डाक्टर को याद करते हुए

बेटी की लिखी कविता जब पहली बार  पर पढी जिसका शीर्षक है हब प्रेत की तरह आता था सिर दर्द तब मैं अपने सिर दर्द के लिए nostalgic हो गई और फिर सचमुच  कल से सिर दर्द हो गया वजह....शायद यह थी की कल जब मैं पड़ौस का घर गई डाक्टर मल्होत्रा के लिए पूछे गए कमरे के रखरखाव को देखने गई तो मकान मालकिन ने उनके न रख सकने की मंशा जताई तब मुझे चिंता हुई और उसी के फलस्वरूप शायद मेरे सिर में भयंकर दर्द हो गया जो अभी तक वैसा ही बना हुआ है.. डाक्टर मल्होत्रा हिसार के चुडामनी अस्पताल  में वर्षों तक डाक्टर रही है वे gynecologist aur surgeon हैं  अब ९४ वर्ष की हो चुकी हैं मेरी वह अच्छी खासी दोस्त हैं और वह मेरे पास ही रहना चाहती थीं. परन्तु  कोई ५-६ वर्ष पहले ..में जब किसी डाक्टर दम्पति का  हस्पताल चलाने में मदद कर रही थी ..उन्ही दिनों वे एक मेज से टकरा गिर गई उनके कुल्हे की हड्डी क्रैक हो गई थी और उनकी बेटी उन्हें  भोपाल ले गई ...तब से वह वहीँ हैं ...परन्तु हर वर्ष उनका फोन आता रहा है की मैं आ रही हूँ परन्तु शायद उंकी बेटी उन्हें ज्यादा उम्र की होने की वजह से रोकती रही हैं ...परन्तु इस बार वे आ गई हैं ...इस समय वे दिल्ली में अपने भाई के यहाँ हैं ....बेटी विपिन चौधरी जब उनसे मिलने उनके भाई के घर गई तो उसने बताया की मम्मी मुझे उन्हें देख कर रोना आ गया वे बहुत कमजोर हो गई हैं...उनकी भतीजी ने बताया की मैं उनके कानों का इलाज करवा कर फिर तुम्हारे घर हिसार भेजूंगी...
बेटी की  इन्ही  दिनों एक कहानी लमही  में छपी है लमही जो की उर्दूऔर हिंदी के मशहूर साहित्यकार

मुंशी प्रेम  चंद    के पोते द्वारा निकाली जा रही है...इस पुस्तिका का विमोचन राजेन्द्र यादव   ने किया है  जो 

  हंस पत्रिका  निकालते हैं 

 जब   देखें  इस लिंक पर चटका करभी देखे  
 मेरा आज का inspiration   a creative cat: July 2010
XOXO

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