Tuesday, July 31, 2012

My Grandma, Churma


 When I was a kid and we visited our Grandmaa in my village for our summer vacations ….Each day she taught me how to make one of her amazing recipes!

via simply tadka



The picture above shows the churma we made when I was 13. It was delicious!
Once we made massive amounts of this delicious dish!


She used uukhal (Morter) and mussal (Pastel)and a big parat….to mesh the rotties along with gur!
On that day we also spun a massive amount of punnies!
On that summer vacation ……throughout the course of the week we ( I should say Grandma) cooked up a storm. She made, churma, kasar, suhaallies, khir, gulgule, maal puraas. We ate so well!





XOXO

Photos only!

My niece driving..........





At her university ground with her friend.
XOXO 

raditional attire making competitions

Welcome! If you are not familiar with what’s happening here, you’re in for quite a treat.
Sonia, Ritu, Shashi, Bhandari and myself with several unfamiliar faces are taking part in a traditional attire making competitions. And we want all of you to join in the competition!


 This was the message given to members of MSS our NGO in local evening news papers nabhchhor and pathak-paksh.hisar


(Please forgive me for the horrible lighting of the following photo. Please also forgive the wrinkly nature of the fabric, I still don’t have any time to iron it but I took the shot!)
The Chint

So, for my first traditional dress project, I will use this fabric I found from Kalekhan’s (Hisar)  shop (very famous shop of the city). I bought it not knowing what I would make with it.

XOXO

Monday, July 30, 2012

trash to tresurer


Apple cozy....Yes i will make the sweater for apples i will buy in future Find tutorial here.


I am in the process of making ...hiding the cracks on this ice-cream cup............

Happy Day!

Recycled white plastic bottle

Unique vase

Twigs in recycled vase

I will post the details in coming post..
XOXO

Saturday, July 28, 2012

My daughter reciting her poem in Dialogue programme of S

yesterday in SAARC writers programme

इस दिल्ली महानगर में हिंदी कविता को चाहने वाले लोगों की कमी नहीं है, समय- समय पर कविता के दीवाने किसी मंच के तहत इक्कठे होते हैं और समरसता के आलम में अपनी अपनी कविताओं को साँझा करते हैं.कविता के इन मुरीदों को 'डाईलोग' एक सार्थक मंच मुहैया करवाता है. आज २८ जुलाई को इसी मंच की मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई. इस गोष्ठी का सञ्चालन मिथिलेश श्रीवास्तव जी ने किया. कार्यक्रम में 'विवेक मिश्र' जैसे नामी कथाकार व कवि, 'लक्ष्मी शंकर' जैसे वरिष्ट कवि व वक्ता, प्रमोद कुमार तिवारी जैसे मिट्टी से जुड़े रचना कर्मी और ममता किरण जैसी लब्धप्रतिष्ठित कवयित्री ने साँझ के इस सुहावने समां को कविताओं से सराबोर कर दिया.गौरतलब है कि अजीत कौर द्वारा स्थापित अकादेमी ऑफ़ फ़ाईन आर्ट्स के कार्यक्रम 'डाईलोग' को ३१ अक्टूबर, वर्ष 2010 से सँभालने की जिम्मेदारी कवि मिथिलेश जी ने ली और तब से ही कविता की यह महफिल कवि और श्रोताओं के बीच पैठ बनाने लगी और कुछ ही समय में इस कार्यक्रम की शोहरत दिल्ली महानगर से बाहर भी पहुँचने पहुँची. अकादेमी के मयुजिय्म हाल में महीने के आखिरी शनिवार को आयोजित इस गोष्ठी के गरिमा को युवा और नामी गरामी कलमकार शामिल होते हैं................ for the rest click HERE

XOXO





Lunch bag tote........

With Up cycled yarn...........



Wow! I’m so impressed with the sturdy strap I’ve made for my daughter’s lunchbox bag.
What a pretty crochet fabric belt! I didn’t realize it would be so…pretty! I mean, as nice as it is in the picture, it’s so much better in person. Lovely shiny /sparkly, sooooo bright and cheerful. I may start sneaking it the very spark into my design without any design! Sorry that sparks are not visible in picks.




I’ve finished the container and the strap. Still to do: that container/box needs a roof with some sort of opening so Tiffin can be pulled in and out. I’m thinking a string flap.
It was really pretty monotonous after all for the big, Tiffin with hot case. I actually put in the panel little ‘windows’ because I was soooooo bored making flat fabric. I quite like the effect, though. So good for me. It was a lot of crocheting, though – what I have done was done in several days (on and off), with the majority of the actual stitching done in one day. My poor wrist. But I will proceed for the Delhi tour just day after, so I must press on!


Here , as you can see, I’ve finished the bottom and sides and strap too……for f the Box– most of the major work, hopefully. Still to do – The Box needs a roof and some embellishments. Once I’m finished, I’ll post the pattern for the lunch box so you can all make one, too!





The Lunch Box is done! And not a day too soon, either…finished to widespread admiration, the Lunch Box is of sufficient size to accommodate  the three containers ofstain-less steel with outer hot case.woh!
the flower and strings with stone beadsfor openning with contrast!!!!!!!!!
I’ll have the pattern up in a few days, once I have the time and inclination to sit down and type it up.


the roof and sturdy strap!

the complete one!

Mosaic of lunch-box tote 
..
Happy Day!

मेरा मचिंग पर्स

मैंने यह सूट का कपड़ा बहुत महँगा खरीदा था इसे मैंने ऎसे सिला कि यह सर्दियों मैं और गर्मियों मैं भी पहना जां सके ..यह किस्सा मैं किसी और पोस्ट मैं बताऊंगी 


मैंने सोचा रेमंड शूटिंग के इस महँगे कपड़े के साथ एक मैचिंग सूट(सलवार-कमीज) बनाया जाय.
और मचिंग पर्स भी 

रेमंड शूटिंग 


फिर क्या था ? मैंने अपने महँगे लिबर्टी के लैदर के बैग को जो कि बहुत पुराना हो गाया था ...उधेड़ दिया 



क्लोज़-अ



और उस पर सलवार वाला का कपड़ा मढ़ दिया और हो गया सुंदर मचिंग पर्स  तैयार  

क्लोज़-अप

क्लोज़-अप

अब लोग मुझे पूछते हैं कि ऎसा सूट तो कहीं नही मिलता जो कि ड्रेस के साथ मैच करे!


जी हाँ इसके लिए आपको जरा मेहनत जरूर करनी पड़ेगी 



कृपया प्रतिक्रिया दें
शबा खैर! 

Friday, July 27, 2012

लाजवाब रोटियाँ/चपातीयाँ


मेरी एक सहेली ने बताया कि जब वह् अमेरिका में थी तो उसने अपनी एक अमेरिकन दोस्त को खाने पर बुलाया और शुद्ध हरियानवी खाना खिलाया. वह् अमेरिकन हैरान! उसने बाजरे की रोटी ताजा मक्खन के साथ, खेलरों का साग, लहसुन की चटनी और लस्सी....उसे लगा कि यह क्या? वह् कई हिंदुस्तानियों के यहाँ खाने पर गई है और उसने सभी के घरों में अलग-अलग खाना पाया!
बहर- हाल हिंदुस्तान के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग खानों की बात तो छोड़िये ......
मैंने हरियाणा के अपने गाँवों तक में अलग-अलग किस्म की रोटियाँ खाई हैं उदाहरण के तौर पर मेरा गांव जो   भिवानी  जिले में पड़ता है वहां वर्ष के अधिकतर महीनों में बाजरे की रोटियाँ खाई जाती थीं, और गर्मियों में गेहूँ और चने की मिस्सी रोटियाँ. अकाल के दिनों में  जौ  की रोटियाँ बनती थीं  जौ  का छिलका उतार कर उसे पिसवा लिया जाता था. छिलका उतारे हुए जौ को  घाट कहते हैं उसकी रोटियाँ भी हम बहुत खाते थे. 



मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, चने,  गेहूँ,  और सोयाबीन
 का आटा 




मेरे ननिहाल में जोकि हांसी तहसील  में पड़ता है ज्यादतार गेहूँ की रोटियाँ ही बनती थीं. मेरी माँ के ननिहाल (जो कि टोहाना तहसील में पड़ता है) में जहाँ कि हम बचपन में बहुत जाया करते थे मक्की की रोटियाँ बनती थीं.

जब मेरी शादी हुईवह गांव हिसार  जिले में है तब मेरी सास- माँ बताती थी कि वहां पर पहले हमेशा ज्वार की ही रोटियाँ बनती थी.

मेरे पिताजी को  मोठ (मोठ हमारे बारानी गांव में खूब होता था)  की रोटियाँ बहुत अच्छी लगती थीं ....सो जब हम आगरा में रहते थे तब हमारे घर  मोठ  की रोटियाँ बनती थीं. हमारे बारानी गांव में चने बहुत  होते थे तो यदा -कदा खालिस चने की रोटियाँ भी हमारे यहाँ बन जाती थी जो मुझे लहसुन की चटनी के साथ अब भी खानी बहुत अच्छी लगती है. 


मक्की,बाजरा,चने,  ज्वार,जौ,  सोयाबीन और बीच में   गेहूँ 


तो फिर पूरे  हिंदुस्तान की तो बात ही क्या कहें जब अकेले हरियाणा में ही महज थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ही खाने -पीने में इतनी भिन्नता है.

अब मैं  अपने घर की बात कहूँ तो.............मैं अपने आटे में सोयाबिन और चना गेहूँ के साथ तो हमेशा ही मिलाती थी ..परन्तु पिछले कुछ वर्षों से यह सात किस्म का अनाज पिसवा कर आटा  बनाती हूँ और मैं यह सभी अनाज अलग-अलग पिसवाती हूँ  ताकि कभी-कभी मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, चने अथवा खालिस गेहूँ की रोटियाँ बनाई जा सकें सबका स्वाद अलग होता है और वह् खाने में अच्छी लगती हैं. आमतौर पर मैं सभी किस्म के आटे मिला कर ही रोटियाँ बनाती हूँ..

कृपया पढ़ कर जरूर प्रतिक्रिया दें  ..
आपका इंतज़ार रहेगा.
शब्बा खैर!!!!!!!!

I love Terracotta pots.

To make the house feel open and airy you must add some light.




I love Terracotta pots these three one over the other with decorative sticks are central point of attraction in the morning hours of winter......when sun enters into our living room and the shades of these three fall upon the wall ..


XOXO

My Chapatti basket


its my insulated chappati box padded with foam with cotton fabric mounted over a plastic basket!!!!
peek into it !

the cover  has valcro  to close

upside down

the lid with edgings

the lace on the basket edge is factory made..

i made this basket years  back but not used practiced pracatally.

Designs by Pinky: ~~~Waterproofing the Foundation!!!~~~

Designs by Pinky: ~~~Waterproofing the Foundation!!!~~~:  Good Wed. morning my friends! I know this may be boring to some of you but some have asked to please keep them posted on the new house . ...

Thursday, July 26, 2012

Wednesday, July 25, 2012

The Yellow shrug: cross posted fromKalewa


पीला श्रग

कब से भानजी के लिये यह फुल बना रखे हैं कि इनका श्रग बनाउंगी



आज ठाना ही कि इसे पूरा करने की तरफ कदम जरुर रखूंगी॥
शब्बा खैर!
i tried several times that i will make it a square but its difficult with 9 petals and the position since January this year when i challenged that i will complete it is not met yet!

still the position is as such 

posted here
here is the link of my another  blog from where i posted this....http://kalewa.blogspot.in/2012/01/blog-post.html