Wednesday, July 25, 2012

cross posted post form my another blog


मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ

हंस की सालाना गोष्ठी ३१ जुलाई को दिल्ली में हुई हंस हिंदी की पत्रिका मुंशी प्रेमचंद जी१९३० से किकालते थे जो बाद में क्न्हीं कारणों से बंद कर दी गई थी . इसे बाद में राजेन्द्रयादव जी ने बाद में फिर से निकालना शुरू किया हंस की गोष्ठी में हंगामा इस बार हंगामाहुआ एस पर मेरी बेटी की प्रतिक्रिया पढ़ें



मेने मुंशी प्रेमचंद की अधिकतर कहानियाँ पढ़ी हैं आप भी इन्हें पढियेआज के परिपेक्ष मेंभी ये तर्कसंगत हैं ..इन्हें यहाँ पढ़ें ..

here is the link of the post and my blog....http://laamni.blogspot.in/2010/08/blog-post.html

XOXO

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