Wednesday, January 31, 2018

sensible words

"Sometimes it seems that the more we try to go unnoticed and go through life discreetly and privately, the more the others notice us."





The Portuguese Spy

Nuno Nepomuceno...
xoxo

Wednesday, January 17, 2018

स्वच्छ भारत अभियान, मेरा आदर्श गांव

स्वच्छ भारत अभियान

आकाशवाणी रोहतक से मेरे द्वारा दी गई रेडियो टॉक जिसका शीर्षक था मेरा आदर्श गांव जबहम अपने प्रोजेक्ट के तहत गांव जाते थे तब वहां की साफ़-सफाई और तरक्की के लिए मेरे मनमें जो विचार और उपाय सूझते थे उन्हें मैं रेडियोमैगजीनविभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लिखकरजाहिर करती थी आज हमारे प्रधान मंत्री द्वारा स्वच्छ भारत अभियान जोरों पर है। स्वच्छभारत' भारत सरकार द्वारा आरम्भ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियोंसड़कोंतथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है। यह अभियानमहात्मा गाँधी के जन्मदिवस ०२ अक्टूबर २०१४ कोआरम्भ किया गया।महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदानकर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था।


मेरा आदर्श गांव
 आज के दिन मेरा गांव  एक आदर्श गांव  गिना जावै सै. मेरा गांव  बहुत सुन्दर और साफ  सुथरा सैअर गली-गली मैं साफ़ सफाई सै. ना किते कूड़ा-कर्कट,  ना किते गंदे पानी की नालीना किते कागज़-कपड़े के टुकड़े.  ईसा लागै सैक सफाई नै म्हारे गांव  मैं आकीं अपना रूप धारण कर लिया हो. गाँव मैं भोत मेल मिलाप सै ना किसे का किसे तैं बैर अर ना किसे तैं जलन अर ना जाति-पाति का भेद-भावना छुत-छात  की कोई खाई. बस सारे माणस-लुगाई मिल कीं गांव  की उन्नति करण मैं जुटे रहवैं सैं.
इब तो म्हारे गाम के घन-खरे (ज्यादातर) लोग पढ़े-लिखे होग्येअर लुगाई-छोरी भी किमें पढ़-लिख गई. जो रह रही सैं वे जुट रही सैं पढण खातिर. गाँव के घण-खरे(ज्यादातर) लोग अख़बार  पढ़ लें सैंट्रांजिस्टर पर समाचार सुणा करैं सैं. लोग जिद खेतां  मैं काम करण जावें सैं तो उस बख्त भी उनकै  धोरै  डोलै(फैंसिंग)  पर   ट्रांजिस्टर बाजदा रहवै सै. मेरै  गांव  मैं विकसित युग की  घण-खरी चीज़ सैं. गाँव मैं डाकखाना अर स्कूल तो सैं एअस्पताल अर बैंक भी सैंएक डांगरां का अस्पताल भी सै. गांव  मैं सब कै घरां मैँ बिजली सै अर मीठे पाणी के नलके तो  हर गली मैं लग रहे सैं. म्हारे गांव  मैं आजकल लुगाई धुआँ -रहित-चूल्हे पर रोटी बणाया करैं वे उस धुआँ -रहित-चूल्हे पर धर  कीं ए प्रेशर-कूकर पर सब्ज़ी-दाल बणाया करैंर आजकल तो कई जगाई धुप का चूल्हा भी बरतण लागगी. 
सरकारी कागज़ाँ मैं मेरे गांव  का ज़िक्र नए युग के एक आदर्श गांव  कै रूप मैं होवै सै. जिद भी कोई विदेशी  मेहमान आवै सै तो सरकार उसनैं म्हारा गांव ज़रूर दिखाया करै. इबतांई  जितनै भी विदेशी मेहमान मेरे गांव  नैं देखण खातिर आये सैं वे म्हारे गांव  की साफ-सफाईमेल-मिलाप अर लुगाई-छोरियां कै हाथ की बणी चीज़ देखकीं बहुत खुश होए सैं.
इबै कुछ दिन पहले म्हारे गांव का एक छोरा विदेश तैं पढ़ कीं उलटा आया तो वो अपनै  सतीं एक विदेशी मिंया-बीबी के जोड़े नैं भी ल्याया थावो दो दिन म्हारे गांव मैं रहे गांव आल्यां नैं उनका खूब आदर-मान  करया. जिद वे महिला-मंडल केंद्र मैं गए अर उननैं लुगाई-छोरियां कै हाथ की बणी दरीझोले अर  हरियाणवी चुटले-घाघरे (हरियाणा का परम्परागत केश विन्यास, और लहंगा) आली गुड़िया देखी तो वे अचंभित होगे उनके हाथां का हूनर देख कीं. महिला-मंडल की प्रधान नैं उन ताईं एक दरी अर एक गुड्डा-गुड्डी का जोड़ा भेंट करया.
गांव मैं घूमते-घूमते जब वे चमारां कै पाने मैं गए तो उननै चमारां कै हाथां की बणाई होई जूती भोत बढीया लागी तो म्हारे गांव के एक चमार जो पंचायत का मैम्बर भी सैउन बिदेसीयां ताईं एक जोड़ी जूतियां की भेँट करी म्हारे गांव के सरपंच नै उन ताईं माटी के बणे खिलौणे भेंट करे तो उननै  खिलौणे देख कीं पूछ्या अक ये  खिलौणे कित के बणे सैं तो म्हारे गांव के सरपंच साब बोले ये म्हारे गांव के कुम्हार बणाया करैं सैंवे बोले हम संसार के कई देशां मैं हांड लिए मण हमनैं इसी कला किते नहीं देखी.
म्हारा गांव आदर्श गांव किस तरां बण्या इसकी भी एक कहाणी सै म्हारे  गांव  की तरक्की अर उन्नति कई लोगां कै दिमाग की उपज सै जिननैं इसका खाका बणा कीं इस ताईं यो रूप दे दिया. आज मैं तहांम  नैं इसे दो- तीन लोगां कै बारे मैं बताऊँगी जिणनैं इस  गांव के आदर्श बणन की नीम धरी थी.  

 म्हारे गांव  का सरपंच घणीए ज़मीन का मालिक सै अर वो बहोत  अच्छा आदमी सै सन १९५२ तैं वो बिना किसे चुनाव के सरपंच बणदा आवै सै.  मनै तो जिद तैं  होश  संभाले सैं यो ऐ सुणदी आई अक ईबकाल दादे  कै ४०० मण  अनाज़ होया कदे  ५०० मण अनाज़ होया कितणा ए काल पड़ो उसकै १०-१५ मण अनाज़ तो जरूर  होगा.   तो फेर कै घरीं पिसे-धेलयां की तो कमी थी  नहीं उसने अपणा बड़ा बेटा सुन्दर अपणी बेटी जो बड़े शहर मैं रह्या करदी उसकै  धोरै पढण खातिर भेज राख्या था. वो बस  छुट्टियां मैं ए गांव  आया करदा. बचपन तैं ए सुन्दर नैं आपणे गांव  तैं बहोत लगाव था. जिदभी वो गांव  आंदा खेतां मैं  गांव  कै बाळकां सतीं खेल्या करदा. घर  मैं डांगर-ढोर के काम करदाकदे भी खाली नहीं बैठ्या करदाकिमे-न-किमे करीं जाया करदा.  
जब वो थोड़ा बड़ा होग्या तो उसनै दसवीं पास करली थी अर वो गांव मैं आंदा तो वो अपणे गांव के आदमियां नैं गली-गली मैं ताश खेल्दै देखदा तो बहोत दुःखी होंदावो घरीं आकीं सरपंच साब नैं कहंदा,"पिताजी गांव  के आदमी क्यूकर डोलियाँ(दीवारों) कै सहारै बैठ कीं आपणा कीमती टाइम खराब करया करें सैं,अर बैठेंगे भी सही गाल कै कीचड़ अर गंदगी कै श्यामीं

ओड़ै ए  पाणी अर कूड़ा पड़ीं सड़ीं जागा अर  ओड़ै ए बैठे वे मारीं जांगे गप्पे  अर खेलीं जांगे ताश. उसके पिताजी बोले, "बेटा गांमाँ मैं लोग न्यू ए  टाइम पास करया करें सैं जिब खेत मैं किमे करण न ना हो तो इनैं -उनैं बैठ कीं  टैम पास कर लिया करें सैंबेटा तनैं के करणा सै गामां का मैं मेरे बेटे नैं विदेश भेजूंगा डाक्टरी पढ़ण खातिरफेर तूँ ओडै ए बस  जाईये या फेर आपणे किसे बड़े शहर मैं अपणी कोठी बनाइये आधे पिसे मैं  द्यूंगा मेरे बेटे नैं.
सुन्दर कहंदा,"पिताजी नहीं मैं अपने देश कै सतीं   गद्दारी नहीं करूँगा. मैं तो आपणे देश  मैं ए बसूँगा अर अपणे गांव  नैं भी क्यूँ छोडूँ  गांव  कोए  छूत  की बीमारी तो सैं नहीं अक पढ्या -लिख्या अर छोड़ दिया  किसे छूत की बीमारी की ढाल गांव. तो इसे-इसे सवाल-जवाब करया करदा सुन्दर अपणे पिताजी कै सतीं.
एक बर जिब वो डाक्टरी पढ्या करदा तो छुट्टियां मैं गांव आ रह्या था वो अपणे पास के शहर हिसार की यूनिवर्सिटी मैं किसान मेला देखण चला गया. ओडै किस्म-किस्म की चीजां की प्रदर्शनी लाग रही  थी किते बढ़िया बीज थेकिते खाद आर किते कीड़े मारण की दवाई किते अच्छी फ़सल लेण के तरीके बताण लॉग रहे थे.  आर मेले के एक कोणे मैं गृह-विज्ञान की  प्रदर्शनी लॉग रही थी उसका  ध्यान ओडै  गया उसने तरां-तरां की घरलू चीजां की जानकारी ली धुँआ -रहित -चूल्हासोलर कूकरपानी साफ़ करण के घड़े अर फल सब्जी काटण के औज़ार देखे अर भोत प्रभावित होयाअर उसनै सोच्या अक म्हारे गांव  मैं यदि ये सब चीज बरतण  लाग जां  तो कितणा आच्छा हो. 

घरीं जाकीं उसनै अपणे पिताजी सरपंच साहब ताईं बताई अक पिताजी आप क्यूकर भी करो कोशिश कर कीं आपणे गांव  मैं ईसा कुछ करो अक लोग अपणे-अपणे घरां  मैं ये सब चीज़ बरतण लॉग जां सुंदर नैं  तो बस मुंह मैं तैं  बात काढ़णी थी सरपंच साब बोले, "बेटा ठीक सै मैं काल ए यूनिवर्सिटी मैं जाऊंगा अर पूछ कीं आऊँगा या तो वे उरै आकीं धुँआ-रहित-चूल्हासाफ शैचालयसाफ़ पाणी के घड़े इत्यादि बणाने सीखा जांगे या फेर आपिं गांव  के आदमीछोरियां नैं ग्रुप बणा कीं ओडै सिखण खातिर भेज दयांगे."  
सरपंच साब नैं इतणी कोशिश करी अक जब सुन्दर अगली बारी गांव  आया तो उसनैं दूर तैं ए चिम नियां मैं तैं धु-धू कर कीं धूँआ लिकड़दा देख्या अर गांव  की तो जणू काया पलट होगी थी. इब तो हर बार सुन्दर कोई न कोई नई बात बता जाँदा अर सरपंच साब उसनैं पूरी करण जुट जांदे. सुन्दर की देखा-देखी गांव  कै कई और  युवकां नैं  भी गांव  ताईं आदर्श गांव  बणाण मैं योगदान दिया था.
 उनमैं तैं एक  ब्राह्मणा का छोरा सुमेर था. वो बचपन तैं ए  काफ़ी होशियार था उसके पिताजी कै खेती की जमीन थी अर वो जमींदारां कै घरीं ब्याह-शादी अर मुंडन संस्कारां मैं पूजा-पाठ अर पंडताई करया करदे उसकी माँ व्रतां मैं लुगाई छोरियां नैं कहानी सुनाया करदी वे बदले मैं उसने अनाजपैसे अर लत्ते-कपड़े दिया करदे. सुमेर कै या बात भोत खटक्या करदी जब कोई गांव  की लुगाई उनकै घरीं वार-त्यौहार नैं सिद्धा देंण खातिर आंदी तो वो कहंदा  म्हारै  घरीं क्यूँ देण आया करो हमीं तो धाए - धुस्से सांथामीं गांव  की उस गरीब चमारी नैं  देंदे उसकै तो कोए बाळक भी कोनी. वो अपणे पिताजी नैं कहंदा, "पिताजी आपणी खेती की जमीन थाम नैं  हिस्से पर दे राखी सै आपिं खुद उस पर खेती करां तो अपणे गुज़ारे जितना आनाज ऊगा सकां सां." वो बामणां का छोरा सुमेर पढ़-लिख कीं एक बड़ा व्यापारी बण  रह्या सै आर टैम -टैम पर जरूरत पड़दे ए वो गांव  आळां की खूब सहायता करया करै,वो गांव  की पंचायत नैं भी विकास के कामां खातिर एक बड़ी धन-राशी हर बरस दिया  करै. जब भी कदे अकाल पड्या सुमेर नैं गांव के  पशुआं खातिर ट्रक  भर-भर कीं चारे के भेजे.
   
  अर सुंदर तो अपनै गांव  कै सरकारी अस्पताल मैं डाक्टर सै अर सरपंच साब का निजी सलाहकार भी वो ये सै. शुरू-शुरू मैं तो उसने डाक्टरी पढ की गांव  मैं डाक्टरी शुरू कर दी फेर सरपंच साब की कोशिशा तैं जिद गांव  मैं सरकारी अस्पताल की मंजूरी अर अनुदान मिला तो सब गांव  आळां  नैं मिल कीं श्रमदान कर फ़टाफ़ट अस्पताल की बिल्डिंग बणा दी. आज सुंदर उसे सरकारी अस्पताल मैं डाक्टर सै. साचीं  पूछो तो आसपास के गामां मैं वो ए सबका डाक्टर सै
म्हारे गांव  की पंचायत भी अपणे आप मैं विशेष स्थान राखै सै पंचायत घर की बिल्डिंग भी सब गांव आळां नैं श्रमदान कर कीं बनाई थी.  सब गांव आळे उसनें अपनी सम्पति समझैं  सैं.   हम सब पंचायत नैं आपणा परिवार मानां सां अर अपणै आप नै पंचायत का सदस्य  मानां सां.  हम सब अपनाएं स्वार्थ नैं ताक पर रख कीं अपणी इच्छावां का दमन कर देवां सां आर अपणी पंचायत पर आन नहीं आण देंदे

यो ए काऱण सै अक म्हारी पंचायत दिन- दुगणी  आर रात- चौगुणी  तरक्की करदी जावै सै.  या एक आदर्श पंचायत सै इसी पंचायत यदि सारे देश मैं होज्यां तो गांधी जी का राम-राज्य आदिं देर नहीं लागैगी. म्हारे गांव मैं जवाहर रोज़गार योजना ही शुरू होगी सै.  साढेतीन हज़ार की आबादी आलै गांव  मैं इस योजना के अंतर्गत हमनैं ८०,००० रूपये मिले सैं.  म्हारे सरपंच साब नैं पूरा लेख-जोखा तैयार कर लिया. सब गांव आळां नैं बेरा सै अक किस -किस कार्यक्रम मैं   कितने-कितने रूपये खर्च होए  सैं. हम नैं कितनी दिहाड़ी मिलैगी अर किसनैं के काम करणा सै.  इब हर घर का गरीब आदमी अपनैं  घर कै धोरै ए काम पर जावै   सै आर ३०% लुगाई भी इस रोजगार की हकदार होरी सैं हम सब नैं अपणे गांव  पर गर्व सै सरकार भी हमारे गांव नैं बड़ा मान देवै सै.   

Tuesday, January 16, 2018

best out of waste

last 3-4 months were very hectic for me, as the work of renovation was going on in my house. it was a long.....long...........awaited work which was pending since last 2-3 years.when the deterioration was at its best...we took on it..
thus begun the hectic time for me.....i used to collect every bit of waste deserted by tile work, plumbing, wood work, painting, from masonry work and so,,,,,,,,on..


here is one sample!!!!!!! work in progress.........



i glued the left over wall tiles on the waste bucket...which was used to its best.....for years...companion since a long broken from the rims....renovated....broken its handles....renovated....at last i decided to make garden tool out of it ...it's a large bucket to accomodate a big house plant...right!!!!

see the wall tiles which were deserted by the mason on work...they were in plenty. i was not able to make the mason to mount them on rough surface of open veranda. he refused to work on them......tit-bits are not upto his standard...he can only process the new ones...
Then what?
i made several uses of them!!!
Here is the one....i will share the final verson later on....and the method for it too!!!!

happy crafting!!!!
and
happy DAY!

क्रोशिये के कवर से सजी चाबी, my house in Bhiwani,


 सुबह -सुबह जब में गेट का ताला  खोलती हूँ तब बिना रोशनी के चाबी के गुच्छे में से गेट के ताले की चाबी ढूंढना मुश्किल होता है सो मैंने उस चाबी का  क्रोशिये से एक कवर बना दिया अब उसे ढूंढना आसान हो गया।  देखए क्रोशिये के कवर से सजी चाबी। ………।इसे बनाने का तरीका अगली पोस्ट में बताऊँगी
क्रोशिये के कवर से सजी चाबी

I can relate to this environment as I grew up in a semi-desert area of Bhiwani district of Haryana called the Bagar. Flat-topped hill like huge sand dunes are visible all where, the sand was (when I was a kid )so clean, we usually use that sand to clean our utensils, and put in the grains to store them for long time.

Related image
 It has a very unique beauty and a home like this would have been perfect. My grandparents home was very different to this... a   house built on platform full of locally weaved carpets(colloquially named as jajam) and bamboo antique furniture. It was beautiful, but perhaps not the best fit for the environment. The photo below is of the sand dune in Haryana.... very similar to the desert setting above.

xoxo

अपना बैग लेकर बाज़ार जाऐं


The time during which I really should be doing something but am just too unfocused. After all, the celebrations aren't really over. A New Year is on its way. So, all blog posts until then will be from my another blog. I am drinking hot cups of chai, cutting myself a slice of cake, puttering around the house, shifting a painting here and hanging one there, watching a movie or two (Sherlock Holmes was great, Avatar is next) and taking tons of pictures of my everyday with my camera. How are YOU spending your time?


पर्यावरण बचाएंपहल करें------
पिछले दिनों मिडिया में काफी होहल्ला था बंद करोपोली-बैग बंद करोपोली-बैग से ये खराबाहूआऔर वो खराबा हूआ। हरियाणा में जिस दिन अखबार में आया कि पोली-बैग बैन हो गये हैं।अगले दिन सचमुच  फलों की रेहङी वाले ने पोली-बैग में फल दिये  ही पंसारी ने सामान में दियासोचा अबकी-बार तो सचमुच कुछ कठोर कदम उठे हैंलगता है पोली-बैग का ज़माना लदने वाला हैयदि भूल-वश कहीं अपना थैला खरिदारी करने जाते समय नहीं ले गये तो बिना खरिदारी करे हीवापिस लौटना पङेगा। पर फिर वही हर दूकान-रेहङी पर पोली-बैग में सामान आसानी से बिना किसीना नुकर के मिल रहा था।



यह बैग मैंने पिछले दिनों बेटी के लिये बनाया....
अपनी पुरानी साड़ी से बनाये उसके सूट के साथ मैच हो गया.
साड़ी से सूट बनाते समय कुछ कतरन बच गई थी ...जिन्हें इस्तेमाल कर यह बड़ा सा शोपिंग बैग बहुत ही सुन्दर बन गया है.
क्मीज और चुन्नी साड़ी की बनाकर उसे मेचिंग चुरिदार से टीम कर दिया और फिर यह बैग....मेचिंग....
अब इतना बड़ा बैग साथ ले जाकर साड़ी खरीदारी का सामान इसमें आसानी से भरें और घर आयें कोई फटने का डर नहीं...

My niche

My niche with...


My creations in the niche..
Happy day!

XOXO

Book Fare Delhi

It was so relaxing to go to book fare and enjoy time together and great weather. We had 2 amazing days together and have decided this is going to become tradition. There were so many known persons there that we hope to takemy sis’s family next year.

xoxo

Monday, January 15, 2018

SHISHIR

ITIS FINNALY THE TIME IN SHISHIR ....
Makar Sankranti  marks the transition of the sun into the zodiacal sign of Makara (Capricorn) on its celestial path, which is the first change in the zodiac after the winter. makar Sankranti is one of the few Hindu festivals which is celebrated on a fixed date i.e. 14th January every year. It is regarded as the beginning of an auspicious phase or the holy phase of transition marking the end of an inauspicious phase which begins around mid-December.
The auspicious day of Makar Sankranti marks the beginning of warmer and longer days as compared to nights.On the auspicious day of Makar Sankranti, day and night are believed to be equally long.

XOXO

Wednesday, January 10, 2018

Drop down spindle एक तजर्बा यह भी

मैं बचपन से अपने दादा और चाचों को ढेरे पर रस्सी बनाते देखती आ रही थी,फिर एक बार छुट्टियों में जब मेरे पिताजी हमारे गाँव आये तो उन्होंने मेरे मेरी मम्मी  द्वारा काते  गए सूत से रस्सियां बनाई थिए,जिनसे उन्होंने पलंग भरा था और मुझे भी पलंग भरना सिखाया था. 







Drop down spindle




अतः उन्हीं के नक्शेकदमों पर चलते हुए मैंने भी  अपने पास इक्क्ठी की गई बहुत साड़ी कतरनों से रस्सी बनाने की सोची, और खूब साडी रस्सियां बनाई. जिनसे मैंने दो मैट बनाए और बाक़ी बची रस्सियों को इस बड़े स्टील के डिब्बे पर लपेट दिया अब यह हमारे ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ा रहा है।   click HERE  and  HERE  to see the mat and 
xoxo

Way to worship,pics from IG audo...

say salute to the holy places...
I wanted to go for worship at Amritsar. Because of three reasons I preferred this city. I know, there is the place where:
  • · Holy Golden Temple is for worship
  • · Separation point of two countries “Wagha Border” (I feel sad about it because there are some families-- Teli- the oil seed-crusher , lilgar-dyers, saudagar --who used to stuff kapok in our quilts, in our village protected by my grand parents, while there relatives are in Pakistan )
  • · Jallianwallah Bagh, the place to morn about the poor fellows, ended their lives mercilessly’

Well, we took our camera (that didn’t worked all time) and did get pictures(without cell-phones) of the spots of our destinations. I'll show you the pictures and give you a little background on the interesting spots where they were taken.
We started our Journeys from our place at 5 am. We picked up Baljit kaur from Ratia on the way to Amritsar.
First we visited the holy and famous Golden Temple



The real Golden Temple with water all around and plated with Gold. It took hours to visit the Granth Sahib area. The shade on the way is visible with three pillers.
The structure in the middle of the lake is the place where the holy 'Guru Granth Saheb' is kept.

The 'Martyr's well' is where the people tried to jump in to get saved from the bullets of the English army when General Dyer blocked the only enterance to this park and
opend fire on the people who assembled to participate in a peace activity
Wagha Border:

Flags from both countries get lowered at sunset everyday. You can see Indian tricolour and the Pakistan's flag coming down diagonaly.

Once that happens, the gates get closed and the ceremony ends.

You can also see the number of people at both ends of the gate who are witnessing the show. Must visit for everybody.
 

proud momment!

Proud moment!
Height of Height Difference !


Check out the Jawan at the middle!
Wagha Border, Amritsar.



Feeling proud!
Vipin and Richa posing at wagha border spot.

We were in Amritsar exactly in the morning hours !.That’s why we got an opportunity to see the entire excercise where our Jawans match and exceed the clock-work precision of the Pakistani side on wagha boarder.
Posing with the Jawans at the Wagah Border. Wagha border is about 30 Kms from the main city of Amritsar and we have our own vehicle, we hired a rickshaw which and costs about Rs. 10 per person round trip for the spot of border.
There were several other places we went, but I'm sure this is enough of the slide show. Let me just say that it was a very interesting day, and I will look at worship spaces differently from now on.

Pics of 12/17/2017