I love to read my daughter’s poems
Her poem in hindi
चन्द्रो
(स्तन कैंसर से
जूझती महिलाओं को समर्पित)
चन्द्रो, यानी
फलाने की बहु और
धिम्काने की
पत्नी
पहली बार तुम्हें
चाचा के हाथ में पकड़ी एक तस्वीर में देखा
गर्दन की सुराही
पर चमेली के फूल सी तुम्हारी सूरत
फिर देखी
श्रम के मजबूत
सांचे में ढली तुम्हारी तंदरुस्त आकृति
कुए से पानी लाती
खेत में बाड़ी
चुगती
तीस किलों की
भरोटी को सिर पर धरे
ढोर-ढगर के लिए
सुबह-शाम हारे में चाट रांधने में जुटी
किसी भी लोच से
तत्काल इंकार करती तुम्हारी देह
इसी खूबसूरती ने
तुम्हें अकारण ही गांव की दिलफैंक बहु बनाया
फाग में अपने
जवान देवरों को उचक-उचक कोरड़े मारती
तो गाँव की बूढ़ी
चौपाल हरी हो लहलहा जाती
गांव के पुरुष
स्वांग सा मीठा आनंद लेते
और स्त्रियाँ
पल्लू मुहँ में दबा भौचक हो तुम्हारी चपलता देखती
अफवाओं के पंख
कुछ जायदा ही चौड़े हुआ करते हैं
अफवाहें तुम्हे
देख
आहें भर बार- बार
दोहराती
फलाने की दिलफेंक
बहु
धिम्काने की
दिलफेंक स्त्री
इस बार युवा
अफवाह कुछ जायदा ही बुरा बोली
कि तुम्हारा एक
स्तन
कैंसर का अजगर
निगल गया
तुम लौटी डॉक्टर
की हजारों सलाहों के साथ
शहर से गाँव
उसी पहले से रूप
में उसी ताप में
इस काली खबर से
गाँव के पुरूषों पर क्या बीती
यह तो ठीक-ठीक मालूम नहीं
निसंदेह उनके
भीतर एक सुखा पोखर तो आकार ले ही गया होगा
महिलाओं ने हमेशा
की तरह फुसफुसाहट से काम लिया था
चन्द्रो
हारी-बीमारी में भी
तुम अपने कामचोर पति
के हिस्से की मेहनत कर
डटी रही हर
चौमासे की सीली रातों में
अपने दोनो बच्चों
को छाती से सटाए
निकल आती हो आज
भी
रात को टोर्च ले
कर
आठ एकड़ खेतों की
रखवाली के लिए
अमावस्या के लकडबग्घे
जैसे जंगली अँधेरे में
my daughter |
Besides I love to read T.S.Eliot his poem
Preludes
I
The winter evening settles down
With smell of steaks in
passageways.Six o'clock.The burnt-out ends of smoky
daysThe grimy scraps
Of withered leaves about your feet
And newspapers from vacant lots;
On broken blinds and chimney-pots,
And at the corner of the street
A lonely cab-horse steams and stamps.
And now a gusty shower wraps
The showers beat
And then the lighting of the lamps.
xoxo
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