फतेहाबाद (प्रदीप जांगड़ा)। हरियाणा में फतेहाबाद के कई गांवों के किसानोें ने अपनी मेहनत से हालात बदलने वाला काम किया है। झलनियां गांव के किसान राधेश्याम के पास तीन एकड़ जमीन है। डेढ़ दशक पहले इस जमीन में कोई पैदावार नहीं होती थी। हर साल खेत खाली रह जाता था। ऊंचा टीला और रेतीली मिट्टी होने के कारण सिंचाई संभव नहीं थी। बारिश आ जाती तो बाजरा के बीज बो दिया करते थे। इसके अलावा कृषि उत्पादन का कोई उपाय नहीं होता था, मगर आज यहां की तस्वीर ही कुछ और है।
इस जमीन पर धान की फसल लहलहा रही है। उन जैसे सैकड़ों किसानों ने रेत में खुशहाली लहलहा दी है। यह कोई प्राकृतिक बदलाव या सरकारी योजना का परिणाम नहीं। हाथ से हाथ मिलने का नतीजा है। किसानों ने खुद अपने हाथों जमीन तैयार कर ली। उन्होंने ट्रैक्टरट्रालियों से मिट्टी को इस तरह से ट्रांसफर किया कि जहां कभी बहुत चिकनी मिट्टी थी वहां रेतीली मिट्टी डलवाई और जहां रेतीली जमीन थी वहां चिकनी मिट्टी डाली गई। किसानों की मेहनत रंग लाई और इन गांवों की जमीन सोना पैदा कर रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जिले में पिछले एक दशक में लगभग 10 हजार हेक्टेयर बंजर भूमि उपजाऊ भूमि में तब्दील हो गई।
खत्म हो गए रेत के टीले: गांव चंदोकलां के किसान हरजेंद्र सिंह बताते हैं कि करीब दो दशक पहले कई गांवों में रेत के बड़े- बड़े टीले हुआ करते थे। बरसात होती तो किसान बाजरा, सरसों व चना जैसी फसल बो दिया करते थे। इसके बाद किसानों ने लोगों को टीलों से रेत-मिट्टी भरने दिया। इस तरह तमाम गांवों में रेत के टीले खत्म हो गए। उस जगह दूसरे गांवों से लाकर मिट्टी डलवाई।
ऐसे बदला जमीन का मिजाज : मिट्टी और रेत की अदलाबदली से किसानों की परेशानी दूर हुई। फतेहाबाद में रतिया और जाखल बाढ़ संभावित क्षेत्र माने जाते हैं। यहां की मिट्टी चिकनी और सख्त है। इसलिए यहां के किसानों ने अपनी जमीन में रेत डालनी शुरू की। रेत वाले एरिया में चिकनी मिट्टी की जरूरत रहती है। इसलिए यहां के किसानों ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों की मिट्टी मंगवाई।
खुद की मेहनत ही काम आई : भिरडाना के किसान रामनिवास डेलू बताते हैं कि उनकी जमीन पहले रेतीली थी। काफी मशक्कत के बाद टीले को समतल किया। इसके बाद दूसरी जगहों से लाकर चिकनी मिट्टी डाली गई। पहले जमीन उपजाऊ भी कम थी। अब हम अच्छी खासी पैदावार ले रहे हैं। इसके लिए उनको खुद की मेहनत के साथ अपनी जेब से मिट्टी डलवानी पड़ी। किसी तरह की सहायता कहीं से नहीं मिली।
जिले में धान का रकबा लगातार बढ़ रहा है। किसान धान के लिए जमीनों को समतल करने में लगे हुए हैं। जमीन समतल करने के लिए लेजर लैंड लेवलर आ चुके हैं। जहां कभी टीले थे वहां भी अब किसान पैदावार ले रहे हैं। वाकई किसान उन्नत हुए हैं।
-बलवंत सहारण, कृषि उप निदेशक