Monday, September 12, 2011

बरसात के लिये मैट

 इस  बरसात मैट बनाएं….धरती मां का बोझ कम करें 
हम जिस जगह रहते हैं वह  हमारी नहीं है यह  हमारे पुरखे हमें  देकर गए हैं और हमें इसे अपने बच्चों के लिए छोड़ कर जाना है. जब हम किसी की चीज लेते हैं  तो उसे ध्यानपूर्वक रखते हैं कि  कहीं लौटते वक्त उसका मालिक नाराज न हो जाये कि इसे तुमने  खराब कर दिया.मैं समझती हूँ भगवान द्वारा दी गई चीजों के बारे  में हम ऐसा नहीं सोचते कई  बार हम भगवान द्वारा दी गई चीजों को अन्यथा ले लेते हैं.
मैंने इस बारे में बहुत बाद में सोचा  और अब मैं जागरूक हो रही हूँ भगवान द्वारा दी गई चीजों को साफ़ सुथरा रखने की कोशिश करती हूँ. 

मैं यह लेख इसलिए लिख रही हूँ कि आप भी कम कूड़ा पैदा करें जिसे कूड़ा समझते हो उनका उपयोग कर धरती का बोझ कम करें और इसे  बर्बाद होने से बचायें मैं चाहती हूँ आप इस लेख से  आप प्रोत्साहित हों और कचरे से  कुछ उपयोगी वस्तुएं बनायें.  

आईये इस बरसात एक उपयोगी मैट बनाएं..............परन्तु  किससे आईये जानिये 


पिछले कई दिनों से मेरे घर में रेनोवेसन का काम चल रहा है. मैंने ढेरों पोली बैग इकट्ठे कर लिये थे, चाहे वे टायल, ग्राऊट , सफेद सीमेंट, पेंट, ब्रश, पूट्टी, प्लास्टर ऑफ़ पेरिस,या प्लम्बिंग के समान की पैकिग के साथ आये हों. और फिर बरसात ने भी इन्हीं  दिनों आना था. पिछले दिनों लगातार बरसात के आते ही मैंने झट सभी पोली-बैग निकाल उनका प्लार्न यानी पोली-बैग-यार्न बना डाला. मुझे इस प्लार्न की 1 /2 इंच की पट्टियाँ बनानी पड़ी. फिर दो-दो पट्टियाँ इकट्ठी ले कर चोटी की रस्सी के रूप में इन्हें गूंथती  चली गई. और इस रस्सी के 10 इंच के टुकड़े को सीधा कर इसके चारों और बाकी रस्सी को बड़ी सुई और नाइलोन के धागे से अंडाकार जोड़ती चली गई. मैंने चोटी की इस रस्सी को आड़ा जोड़ा ताकि मैट में सलवटों की अथवा इसमें बाल पड़ने की कोई गुंजाइस ना रहे,
यह मैट बरसात में कीचड़ से सने जूतों को पोंछने के लिये अति उत्तम है.
यह प्लार्न थोड़ी सख्त होने की वजह से इस पर जूते अच्छे से साफ़ हो जाते हैं और फिर शाम को इसे मैं बाल्टी भरे पानी में अच्छे से खंगाल देती हूँ और रात भर के लिये टाँग देती हूँ. पोली बैग यार्न होने की वजह से इसमें नमी के रह जाने और किसी जीवाणु के पनपने की कोई गुंजाइस नहीं रहती.
इसे मैंने बिना कोई पैसा खर्च किए बना लिया.
यदि आप अपनी धरती मां को कुङाघर बनाने से बचाना चाहते हैं और अपने वातावरण को दूषित होने से बचाना चाहते हैं तो कृपया किसी भी पोली बैग को कूड़ा समझ मत फैंकीये इसे नष्ट होने में 500-से 1000 वर्ष तक लग सकते हैं.
इस बार आप भी यह मैट बनाएं एयर उपयोग करें.  आपना पैसा भी बचेगा मैट बाजार से ना खरीद क्रर और स्वास्थ्यलाभ के साथ-साथ  धरती मां का कूड़े का वजन कम होगा, वातावरण साफ़ रहेगा.  


देखिये नजदीक से


xoxo

Wednesday, September 7, 2011

रामप्रसाद बिस्मिल, ways to reduce your waste

रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा
रामप्रसाद बिस्मिल भारत के महान सपूत थे जिन्होने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनका जन्म सन १८९७ में उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में हुआ था। १९ दिसम्बर, सन १९२७ को ब्रिटिश शासन ने उनको गोरखपुर जेल में फांसी पर चढा दिया।

रामप्रसाद बिस्मिल ने यह आत्म-कथा अपनी फांसी से दो दिन पहले ही समाप्त की थी।

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का 'सरफरोशी की तमन्ना' ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम् के बाद अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' का सरफरोशी की तमन्ना ही वह गीत है जिसे गाते हुए कितने ही देशभक्त फांसी के फन्दे को चूम लिये। यह गीत नीचे दिया जा रहा है :

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है


वक्त आने दे बता देंगे तुझे आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है


करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है


रहबरे राहे मुहब्बत, रह जाना राह में
लज्जते-सेहरा वर्दी दूरिए-मंजिल में है


अब अगले वलवले हैं और अरमानों की भीड़
एक मिट जाने की हसरत अब दिले-बिस्मिल में है


शहीद--मुल्क--मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा--कातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर,
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हाथ जिन में हो जुनून कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम.
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना--शहादत भी किसी के दिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें कोई रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून--जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती--साहिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए कातिल में है

My inspiration today ............
  reduce your waste

xoxo