संगीत की यह
स्वर लहरी मेरे घर में विश्व संगीत दिवस पर बही थी यानी कि 21 जून 2015 को जब मेरी
भांजी ने गिटार बजाया मैंने सितार और मेरे भांजे ने एकतारा बजाया जो हरियाणा के
लोकगायकों का लोकवाद्य यंत्र है.
मुझे वो दिन याद आते हैं जब मैं आगरा के नार्मल स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ती थी, हालांकि मेरी सभी सहेलियों और मेरे पास संगीत का विषय नहीं था परन्तु हम
हमारे स्कूल के संगीत के अध्यापक जो कि काफी
वृद्ध थे, से आधी छुट्टी में या जब कभी हम खाली होते और वे
बैठे दिखाई पड़ते, हम उनसे बहुत
बातें किया करते थे वे अक्सर भारतीय शास्त्रीय
संगीत के पुनरोद्धारक विष्णु नारायण भातखंडे के बारे में बातें बताया करते थे वे उनकी डायरी (किताब के रूप में लिखी ) पढ़ते रहते थे
और हमें उनके बारे में रोचक प्रसंग बताते थे. हम अपनी रूची संगीत में
जताने की कोशिश करते एक दिन मैंने कहा," मास्टर जी मैं संगीत
सीखना चाहती हूँ", मेरी सहेली शारदा ने भी कहा
"मास्टर जी मैं भी संगीत सीखना चाहती हूँ, मास्टर जी ने शारदा से कहा,"तुम संगीत नहीं सीख सकती।" शारदा ने कहा," मास्टर जी मैं क्यों
नहीं सीख सकती?" मास्टर जी ने फिर से जवाब दिया कि नहीं
तुम संगीत नहीं सीख सकती।
शारदा के तीसरी बार कहने पर कि मास्टर जी मैं संगीत क्यों
नहीं सीख सकती?"
मास्टर जी को ताव आ गया वे उबल पड़े," मैंने
कह दिया कि तुम नहीं सीख सकती, बार-बार कहे जा रही हो मुझे संगीत सीखना है! मुझे संगीत सीखना है!
मुझे वो दिन याद आते हैं जब मैं आगरा के नार्मल स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ती थी, हालांकि मेरी सभी सहेलियों और मेरे पास संगीत का विषय नहीं था परन्तु हम
हमारे स्कूल के संगीत के अध्यापक जो कि काफी
वृद्ध थे, से आधी छुट्टी में या जब कभी हम खाली होते और वे
बैठे दिखाई पड़ते, हम उनसे बहुत
बातें किया करते थे वे अक्सर भारतीय शास्त्रीय
संगीत के पुनरोद्धारक विष्णु नारायण भातखंडे के बारे में बातें बताया करते थे वे उनकी डायरी (किताब के रूप में लिखी ) पढ़ते रहते थे
और हमें उनके बारे में रोचक प्रसंग बताते थे. हम अपनी रूची संगीत में
जताने की कोशिश करते एक दिन मैंने कहा," मास्टर जी मैं संगीत
सीखना चाहती हूँ", मेरी सहेली शारदा ने भी कहा
"मास्टर जी मैं भी संगीत सीखना चाहती हूँ, मास्टर जी ने शारदा से कहा,"तुम संगीत नहीं सीख सकती।" शारदा ने कहा," मास्टर जी मैं क्यों
नहीं सीख सकती?" मास्टर जी ने फिर से जवाब दिया कि नहीं
तुम संगीत नहीं सीख सकती।
शारदा के तीसरी बार कहने पर कि मास्टर जी मैं संगीत क्यों
नहीं सीख सकती?"
मास्टर जी को ताव आ गया वे उबल पड़े," मैंने
कह दिया कि तुम नहीं सीख सकती, बार-बार कहे जा रही हो मुझे संगीत सीखना है! मुझे संगीत सीखना है!
यानी कि उस दिन मास्टर जी बहुत
नाराज़ हो गए, उस दिन के बाद हम
उनके इर्द-गिर्द कभी नहीं गए, उनसे बचने लगे।
और फिर मैंने ग्यारहवीं कक्षा में संगीत विषय
लिया और यह प्रसिद्ध सितार मास्टर रिखी राम की पहाड़गंज, दिल्ली स्थित दूकान से १९७२ में यह सितार खरीदा, एक बार
१९७३ में हमारी सेविका के हाथों इसका तुम्बा टूट गया था जिसे दोबार उन्हीं
की दूकान से ठीक करवाया फिर , २००२ में उन्हीं की दूकान से
फिर इसका जीर्णोंद्धार करवाया। अब यह बहुत पुराना हो गया है मुझे एक नया सितार
खरीद लेना चाहिए
“यदि मैं भौतिकविद नहीं होता तो संभवतः संगीतकार बनता. मैं अक्सर
स्वरलहरियों में सोचता हूँ. मेरे दिवास्वप्न संगीत से अनुप्राणित रहते हैं. मुझे
लगता है कि मानव जीवन एक सरगम की भांति है. संगीत मेरे लिए मनोरंजन का सबसे बड़ा
माध्यम है” –अल्बर्ट आइंस्टीन
विज्ञान के नए रूप का प्रारम्भ करने वाले
सापेक्षता के सिद्धांतकार आइंस्टीन प्रयोगशालाओं के तनाव से उबरने के लिए वायलिन
की शरण में जाते थे. हमारे महामहिम डाक्टर अब्दुल कलाम भी वीणावादिनी की वीणा की शरण में जाते
थे। संगीत,
सृजन, सरसता, समन्वय
एयर संतुष्टी का कारक और सूचक होता है।
विज्ञान के नए रूप का प्रारम्भ करने वाले
सापेक्षता के सिद्धांतकार आइंस्टीन प्रयोगशालाओं के तनाव से उबरने के लिए वायलिन
की शरण में जाते थे. हमारे महामहिम डाक्टर अब्दुल कलाम भी वीणावादिनी की वीणा की शरण में जाते
थे। संगीत,
सृजन, सरसता, समन्वय
एयर संतुष्टी का कारक और सूचक होता है।
हरियाणा भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसके शहरों
और गाँवों का नाम विभिन्न रागों के नाम पर हैं जैसे कि
नन्द्याम् (नन्द) , सारंगपुर, बिलावल, बृन्दाबनी, तोड़ी( टोड़ी), आशाबरी, जयश्री, मालकौश, हिंडोला (हिन्दोल), भैरवी, गोपी कल्याण इत्यादि और एक गाँव का
नाम जयजयन्ती , और एक
गाँव का मालबी भी है.
शब्बा खैर!
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