Saturday, September 26, 2015

My Daughter’s post on Dashrath maanjhi

2008 में अमित परिहार का 'दशरथ मांझी' 2015 में केतन मेहता का 'मांझी'
दशरत मांझी के नाम और उनकी लगन से पहली बार अमित परिहार की कविता 'दशरथ मांझी' के ज़रिये ही परिचित हुयी थी. अमित परिहार ने इस बेहतरीन कविता को लिखने में काफी समय लिया था, उसी के सुखद परिणाम स्वरुप 2008 में वागर्थ पत्रिका द्वारा आयोजित वागर्थ युवा कविता प्रतियोगिता में 'दशरथ मांझी' कविता को प्रथम पुरस्कार मिला था. बलराम कांवट, ज्ञानप्रकाश चौबे, नताशा सिंह, अलिंद उपाध्याय, अच्युतानंद मिश्र, मिथिलेश राय, पुष्पेन्द्र फाल्गुन और मुझे भी अपनी अपनी कविताओं के लिए पुरस्कृत किया गया था । हम नौ कवियों को एक शेक्सपीयर सरणी के आयोजन में दो दिन के लिए कोलकात्ता बुलाया गया था वहीँ सबसे पहचान हुयी। पिछले दिनों फिल्म मांझी देखते हुए अमित परिहार की कविता दशरथ मांझी दुबारा याद आयी और उसे खोजकर पढ़ा.
अमित परिहार आजकल इलाहबाद कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफसर है और कविता लिखने और प्रकाशित करवाने में पहले की तरह ही लम्बा समय लेते हैं.............
vipin.choudhary


REAL LIFE STORY OF  Dashrath maanjhi

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XOXO

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