Monday, August 30, 2010

मेरे घर में खिले फ़ूल....

मेरे घर आई फूलों कि बयार.....

गेट पर झूमते हुए फ़ूल......
क्या घर हरा खुबसूरत रंग है इन पत्तियों का......


अब देखो गुलाबी फ़ूल.....


कमरे के दरवाज़े पर झूमते फ़ूल.....



और फ़ूल ही फ़ूल ....
आहा ........ये फ़ूल.....क्या खुबसूरत हैं.....

मेरे घर के गमले में यह फूल यानि जुलाई में खिले थे तब से लगभग एक दिन छोड़ कर निहारते हुए में इनकी फोटो लेती हूँ । जैसे कि मैं अपने बेटे को छोटे होते बहुत प्यार करती थी कि ज़ब बड़ा हो जाएगा तो इसकी पप्पी नहीं ली जा सकेगी ...यही हाल इन फूलों के साथ है...


मैं माली की इंतजार मैं थी कि इनका नाम पूछ कर ब्लोग्पोस्ट करूँ ......


माली आया उससे नाम पूछा पर....


इंटरनेट पर ढूंढने पर पाया कि ....यह ठीक नाम नहीं बताया गया था...



यह बहुत ही खुबसूरत फ़ूल हैं....


फूलों के इस नाज़ुक से पेड़ को मैने गमले मैं लगाया है.....

यह गमला एक खुबसूरत rotआयरन के स्टैंड पर रखा है। रोत-आयरन के इस स्टैंड को मैं ३-४ वर्ष पहले लुधियाना से लाइ थी, उस समय प्रोजेक्ट के यूनिट- मिट मैं मेरी बेटी भी मेरे साथ गई थी....




होमसाइंस कालेज मैं मैने बहुत से खुबसूरत स्टेंड (गमलों के) देखे ...फ़िर क्या था मैने विश्वविद्यालय के माली से मार्किट का एड्रेस पूछा और बहुत खोजने के बाद दूकान मिली। इतने स्टेंड खरीदे कि गाडी ( टाटा सुमो) के करियर पर ऊपर तक लोड कर दिए गये। लुधियाना से हिसार तक के रास्ते मैं गद-गद-गद-गद करके परेशान करते रहे .......















उँगलियाँ
मेरी इन रेखाओं के बोझ को
थामे रखने के लिए
हथेलियों का शुक्रिया
इतना अब तक के सफर में
में जान गई हूँ इन रेखाओं
से मोक्ष में नहीं उतरा जा सकता.
जब प्रार्थना के वक्त हथेलियाँ
आपस में जुडती हैं तो जीवन का
तमाम लेखा-जोखा हथेलियों में सिमट जाता है.
यदि में झूठ नहीं तो
अमीरी गरीबी का फर्क
उँगलियों से ही साफ़
देखा जा सकता है.
----विपिन chaudhary

Fingers
Thanks to palms
For holding my burden of these lines.
Through the journey so far with these lines.
I come to know,
liberation Can’t be landed in.
During the prayer, when
hands join together,
all accounts-is reduced in palms.
If I don’t lie in,
the difference between wealth and poverty,
can be seen clearly,
from the fingers itself.










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