Have nothing in your house that you do not know to be useful, or believe to be beautiful. - William Morris
Friday, December 17, 2010
मेरा सिलाई का हुनर!
जी हाँ! कभी- कभी यह
मेरा जूनून बन जाता है ..
मैंने जब से होश संभाला है मैं अपने कपड़े स्वयं सिलाई करती आई हूँ, जहाँ तक सिलाई सीखने का सवाल है, मैंने छठी में गृह-विज्ञान विषय लिया था. मेरे बावजी की बीच स्त्र में आगरा पोस्टिंग हुई थी और आगरा किसी भी स्कूल में दाखिला ना मिलने पर मैंने तोशम स्कूल में दाखिला लिया और छठी कक्षा के कोई 4-5 महीने मैंने वहाँ सिलाई सीखी थी, उसमें सिलाई से ज्यादा कढ़ाई एव्म खानादारी ही ज्यादा थी. मुझे याद है मैं बाकी लड़कियों से बहुत छोटी थी, उस समय मैक्रेम के पर्स बनाने का बहुत रिवाज था, वह मुझे इतना कठिन लगता था कि कभी उसपर हाथ आजमाने की कोशिस मैंने नहीं की. हाँ मोती पीरो कर एक बैग मैंने जरूर बनाया था जो मैक्रेम की आसान गाँठ से बनाया था।
बाद में मैंने यह विधा सीखी और अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर, बेटे को पालने की गरज से जब कुछ 2-3 वर्ष घर में रही तब यह बैग जो मुश्किल (मुझे उस समय लगती थी) नोट में बनाया गया है,और यह पर्स जो यहाँ ऊपर दिखाया गया है आसान नोट (जिस नोट से मैने छठी कक्षा मैं बैग बनाया था)
फिर से सिलाई की बात...
फिर मैंने सातवीं और आठवीं कक्षा में आगरा में भी कुछ सिलाई सीखी थी.
इसके बाद प्रेप में एफ सी कालेज में सीखी, और गृह विज्ञान विषय से ग्रेजुएशन करते वक्त भी कुछ सीखी.
सबसे बड़ी बात...
छठी कक्षा से मैंने अपने द्वारा सिले कपड़े ही पहने ...इसके साथ-साथ अपनि दोनों बहानों छोटे होते तक मेरे दोनों भाइयों के कपड़े अपने बच्चों के कपड़े, अपनी बहनों के बच्चों के कपड़े, भाइयों के बच्चों के (बीच-बीच में)....फिर जब मैं अपनी यह विधा मैग्जिनो में भेजने लगी और ...प्रकाशित होने लगी तो इसमें अधिक नीखार आया.
बड़ा अच्छा लगता है अपनी विधा प्रकाशित होती है और अन्य लोग सीखते हैं...सराहते हैं....
नीचे मेरी बिटिया के मेरे सिले कुछ सलवार सूट एव्म चूड़ीदार सूट प्रस्तुत है.....
नीचे मेजंटा सूट जिन्हें दो चुन्नियों के साथ टीम किया है ..यह फूलो वाली चुन्नी जो पहले मेरी मम्मी की साडी थी जिससे मैने पटियाला सलवार और मैचिंग प्लेन कमीज से टीम कर यह चुन्नी ल़ी थी...यह नानी की साडी की चुन्नी बिटिया पर सजी है......क्या बात है तीन पीढ़ियों का एक ही परिधान! है ना यादगार सुनहरे लम्हे!
यह नीले चूडीदार नीले सूट की चुन्नी का कपड़ा दुबई से मेरी सहेली सुरेन्द्र लेकर आई थी बिटिया ने सलवार के कपड़े की चुन्नी बनवा ल़ी और इतना कपड़ा था कि कमीज के कपड़े से यह चूडीदार सूट बन गया!...
बिटिया जो आजकल पैंट ही पहनती है....कुछ वर्ष पहले उसे प्लेन सूट पहनने का चाव आया तो मैं उसके लिये ढेर सारे कपड़े अलग-अलग रंगों में और विभिन्न मेक मैं ले आई और सिल डाले अ....ब्बब्बब्ब यह सब वार्डरोब मैं विश्राम पर हैं..
और यह ऊपर दिखाए कुछ सूट जो मैने जयपुर से खरीदे थे खादी के यह सूट जिन्हें मैने पी एच डी (मैने राजस्थान यनिवर्सिटी, जयपुरसे पी एच डी की थी ) जयपुर करते समय बार-बार के जयपुर के दौरों के वक्त बापू नगर मार्केट से खरीदे थे इन सुतो की सिलाई मैं मुझे कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी यह चुन्नी के साथ मैच करते सूट खुद में एक मिसाल हैं ......हैं ना खुबस्सुरत! लाजवाब!
यह नीचे संत्री रंग के सूट के साथ फ़िर से मम्मी की साड़ी से बने मेरे पटियाला सलवार सूट की चुन्नी जो बिटिया ने आपने इस सूट के साथ मैच की है....यह हल्का नीला चूडीदार सूट .....सफेद चुन्नी के साथ...
नीचे गुलाबी सूट कि जालीदार चुन्नी भी कभी मेरे सूट के साथ की है, जिसे बिटिया ने पसंद नहीं किया था पर यहाँ मेरे लिये जरुर मोडलिंग कर दी थी....
सभी सूट बड़े सीधे-सीधे बिना किसी ख़ास डिजाइन के सिले गए हैं ......
सच मैं मेरे बचे मेरे हुनर के शिकार रहे हैं!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment