सेठ छ्जुराम कागाँव मेरे नानू के गाव पपोसा के पास है...
उनकी जयंती पर कुछ यादें....
मेरे पिताजी बताते थे "एक बार मैं हांसी नाना(मेरे नानू) के यहाँ उनकी (नानू) की आड़त की दूकान में था तब सेठ छाजूराम की पत्नी मेरे नानू के पास आई हुई थी,किसी पारिवारिक मसले के बारे में, उन्होंने सोपली(सर्दियों मैं फुलकारी से काढा गया खादी का शाल) ले रखी थी, कितना सादा जीवन था उनका।"
सोपली आढ़े एक हरियाणवी महिला
मेरे पिताजी की बुआ भुलाँ सेठ छाजूराम के परिवार में विवाहित थीं, शादी में ससुराल से उन्हें १५० तोले के जेवर चढाये गये थे। सेठ छ्जुराम ज़ब मेरी बड़ी बुआ जी की शादी में हमारे गावं खरकड़ी-माखवान गये थे तब उन्होंने मेरे बड़े दादा(चौधरी केहर सिह साहूकार थे) जी से गावं के लिये कोई सेवा के लिये पूछा तब उनहोंनेगावं में रामसिह नाम का लडका जो कि गरीब परिवार से था और कुबड़ा था, उसको पढाने के लिये निवेदन किया।
उनके कहने पर सर छाजुराम ने रामसिह को पीलानी(Pilani )में, जो बाद में हिसार के छजूराम जाट कालेज (CHHAJU RAM कॉलेज) में कर्मचारी रहे.
Seth Chhaju Ram -
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शब्बा खैर!
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