बड़े दिनों से मैं अपने ब्लॉग पर नहीं आ सकी.
कारण?
कंप्यूटर पर काम करने की एक दिक्कत है कि खराब होने पर इसकी दवा स्वँय नहीं की जा सकती. और एमरजेंसी में उसे डॉक्टर के यहाँ दाखिल करवाना पड़ता है और मेरे पास भी कोई चारा नहीं था. मैंने अपने कंप्यूटर को उसके इलाज के लिए हॉस्पिटल में जमा करवा दिया और फिर मेरे घर को सँवारने का सिलसिला जो शुरू हुआ कि में उसे भूल ही गई बस सीमेंट, गारा, बजरी, पेंट ...धूल....कंकड़, भयानक शोर.....और मिस्त्री, प्लम्बर, पेंटर बस उनकी तो बात ही मत पूछो एक बार घर में घुस गए तो बस ....घर से निकलने का नाम ही नहीं लेते........
बहरहाल मेरा कंप्यूटर भी घर आ चुका है और मैंने अपने घर की पुताई भी इसी शनिवार को करवा कर इस काम से निजात पा ली है. शायद कुछ छूट-पुट काम रह गया है. वह हमारे "हेंडिमैन" के हाथों करवा लूँगी.
आज कुछ जो मेरी बेटी ने लिखा.....कुछ 2-3 वर्ष पहले जब सोनिया लड़की केलीफोर्निया में अपनी पढ़ाई के दौरान सहायता के लिए हमारे यहाँ आई थी उसके बारे में है. सोनिया अमेरिका में रहती है और जब वह जापान में अँगरेजी पढाती थी, उसने कैलिफोर्निया से पत्रकारिता में कोर्स करने की ठानी. जब वह जापान से अमेरिका जा रही थी तो उसने अँगरेजी अखबार में मेरी भानजी द्वारा शोध किया लेख पढ़ा, जिसमें हरियाणा में महिलाओं के घटते लिंगानुपात का जिक्र था तब उसने अपने पत्रकारिता के एक प्रोजक्ट में इस विषय पर काम करने की ठानी और उसने समय आने पर मेरी भानजी को खोज निकाला और हमसे पूछ-ताछ की हमने उसे बखूबी वेल्कम किया और उसने अपना काम बखूबी दक्षता से निभा लिया. सोरखी गांव जाकर केरल से ब्याह कर लाईं गई लड़कियों से पूछ-ताछ की और केरल उनके घर जाकर भी अपनी लघु फ़िल्म का कुछ हिस्सा शूट किया.
बेटी को किसी बात पर उसकी अपने काम की जिजीविषा की बात की याद आ गई साथ ही अमेरिका में पढाई का स्तर भी पता चला क्योंकि उसे उसी काम की त्रुटियों (गाईड द्वारा निकली गई)को दूर करने के लिए दोबारा भारत उसी हरियाणा के गांव आना पड़ा और उसने अखबार में इस बारे में लिखा जो नीचे दिया जा रहा है.
अगली पोस्ट में उसकी फ़िल्म भी अटैच करूँगी.
I want to share some pics of park while walking in the evening
ladies are reciting devotional songs in the evening .....this is a routine work for them. |
शुभ दिवस!!
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