हाइटैक चौपालों से शिक्षा व रोजगार
राजकिशन नैनदेहाती दुनिया में चौपालों का समुचित स्वरूप समुन्नत होने जा रहा है। चौपालों में वक्त-बेवक्त हुक्का गुडग़ुड़ाने और सारा-सारा दिन ताश की बाजी लगाने के दिन अब लदने लगे हैं। गांव की परंपरागत चौपालों की जगह अब नये दौर की नई चौपाल लेने जा रही हैं। रोहतक जि़ले के पहरावर गांव में हरियाणवी अंचल की अपनी तरह की पहली हाईटेक चौपाल की नींव ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी (रविवार, 22 मई) को विधिवत् भूमि-पूजन के पश्चात रख दी गई है। पहरावर की ग्राम पंचायत ने गांव के बड़े-बुजुर्गों की अगुआई में कलानौर हलके की विधायक शकुंतला खटक के हाथों नई चौपाल की आधारशिला रखवाई है। चौपाल के लिए जिस जगह का चुनाव किया गया है, वह हर दृष्टि से भवन निर्माण के अनुकूल है। पहरावर के बीचो-बीच ऊंचे कडफ़े पर स्थित इस जगह पर पहली दुर्गनुमा चौपाल अस्थल बोहर की गद्दी के पांचवें महंत योगींद्र चेतनाथ ने छपना अकाल से एक साल पहले विक्रम संवत् 1955 (सन् 1898 ईस्वी) में चिनवाई थी। उस चौपाल को गाम-गुहांड के लोग ‘बड़ी परस’ कहकर पुकारते थे। गांव के जिन वृद्धों की स्मृति में उस परस के सुंदर भित्तिचित्र दर्ज थे, उनमें से प्राय: सभी वृद्ध अब परलोकगमन कर चुके हैं। सत्तर के दशक में उस परस को ढहाकर दादा लाधूराम ने नये जमाने की जो परसनुमा इमारत खड़ी करवायी थी, वह लगभग छियालीस साल तक वजूद में रही। उसकी माटी उठने के बाद गांव के युवा सरपंच प्रवीण कौशिक एवं उसके सहयोगियों ने इस जगह पर हाईटेक चौपाल बनाने की ठानी है ताकि युवक-युवतियों को पढऩे-लिखने एवं करिअर बनाने के उत्तम अवसर यहां सुलभ हों। इस अत्याधुनिक सुविधा संपन्न दोमंजि़ली चौपाल में एक बड़ा हाल, आठ कमरे, रसोईघर व शौचालय की व्यवस्था होगी। इसमें गांव की युवा शक्ति के लिए कंप्यूटर, इंटरनेट आदि के साथ-साथ कोचिंग कक्षाएं व सिलाई-कढ़ाई जैसे उपयोगी कोर्स चलाए जाएंगे। कंप्यूटर व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए जरूरी सामान व सुयोग्य अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी। ग्राम पंचायत की इस अनूठी पहल से पहरावर गांव की नई तांदी अभी से भविष्य के प्रति आशान्वित हो उठी है—
‘बदला रंग-ढंग, बदली चाल, जाग उठे माटी के लाल।
चमकाएंगी देश का भाल, नये दौर की नई चौपाल।’
‘बदला रंग-ढंग, बदली चाल, जाग उठे माटी के लाल।
चमकाएंगी देश का भाल, नये दौर की नई चौपाल।’
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