श्री जाहरवीर गोगाजी महाराज
(13 अगस्त / गोगा जी के जन्मदिवस पर विशेष)
जाहरवीर चौहान राजस्थान के वीर योद्धाओं में गिने जाते हैं। लोग उन्हें गोगाजी, वीर गोगाराणा, गुग्गा वीर, जाहरवीर, गोगा महाराज, राजा मण्डलिक आदि नामों से भी पुकारते हैं। जाहरवीर चौहान का जन्म राजस्थान में चूरू जिले के ददरेवा में चौहान वंश के शासक जेवरसिंह की पत्नी महारानी बाछल के गर्भ से भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 935 ई० को हुआ था। गोगा वीर ने बहुत कम समय में ही अस्त्र-शस्त्र विद्याओं का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। चौहान वंश में महाराज पृथ्वीराज चौहान के बाद जाहरवीर चौहान परम प्रतापी और भारतवर्ष में ख्याति प्राप्त राजा थे। उनका राज्य हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक फैला था। भारतीय इतिहासकारों ने उनके जीवन को शौर्यता, वीरता, पराक्रम, धर्म परायण एवं धर्म रक्षा के लिए उच्च आदर्शों का प्रतीक माना है।
गोगा जी ने सोमनाथ पर आक्रमण करने वाले महमूद गज़नवी जैसे आततायी लुटेरों की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। आपका बड़ा बेटा सज्जन चौहान गज़नवी की सेनाओं को मरुस्थल में रास्ते से भटकाकर शत्रुओं का नाश कर दिया था और स्वयं भी शहीद हो गया था। गोगा जी के 21 पुत्रों, 46 पौत्रों एवं 108 प्रपौत्रों ने इस युद्ध में अपना बलिदान दिया था। चार पीढ़ियों का बलिदान एक साथ हुआ। मुगल शासकों के राज्य में आपके पराक्रम की चर्चा इतनी फैल गयी थी कि फिरोजशाह को आपके मुसलमान होने की अफवाह फैलानी पड़ी थी।
गोगा जी एक वीर योद्धा के साथ ही सच्चे गौभक्त भी थे। यहां तक कि गौ रक्षा के लिए आपको अपने चचेरे-मौसेरे भाईयों अरजन व सरजन से युद्ध करना पड़ा था। युद्ध में अरजन और सरजन मारा गया। आपकी माता बाछल अपने भानजों के मारे जाने से दुःखी हुईं और आपको ददेरवा छोड़कर जाने का आदेश दे दिया था। माताजी के आदेश का पालन करते हुए आपने अपना राज्य खुशी-खुशी त्याग दिया।
आपने हिन्दू धर्म की संस्कृति की रक्षा, गौ सेवा और राज्य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया था। ऐसे वीर योद्धा को शत शत नमन!
xoxo
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