Friday, May 20, 2011

Rag Rugging,ऊकसणी

देखो ऊपर मेरी दादी का संदूक लकड़ी और लोहे का बना होय यो संदूक वा दहेज में क्याइ थी। 


यो नीचे देखो मने चुन्नी की चोटी बना कीं बनाया था.....



आर इस वीडियो में दाऊँ बनाना सीख ल्यो

गांव की कुछ भूली बिसारी यादें

या कोये 67-68 की बात सैं, बरसात होगी थी अर बाजरे भी बो दिए थे मण फेर मावट (बरसात की सिंचाई) कौनि होई थी. मेरी दादी बोली छोरियो जाओ सिमाणे में घास तो कौनि मण दुचाब (घास) जरूर पावैगा जाओ तहामी मिल कीं जाओ घास ले आओ अर तावली आइयो. आपणे ख़र्सणे साम्ङ रहे सै. मैं  पड़ोस की कुम्हारां की छोरी सतीं सरल (हमारे पड़ोस का गांव) क़ानी के सिमाणे में चली गई.वा छोरी बोली चाल डांगराँ खातर घास बी ल्यावाँगे. हम चले गये टिब्बे पर खूब दुचाब थी अर हम्नै   खूब दुचाब पाड़ी. दुचाब घास में बरकत ए कौनि हॉवे, उसके तागे से पतले-पतले पत्ते जुङै ए कौनि. वा छोरी  मुक्त्यारी बोली आजा बैरण चाल बूज( बाजरे की फ़सल के सूखे पौधे) पाङ ल्याँ. और हमने बूज पाङ्या और किमे   हरी  -हरी  दुचाब तो थी ए. दुचाब (घास) की जङ बहोत गहरी होवैं सै, जयां   तैं वे धरती की नमी लेलें सैं और कई दिनां ताईं बढीं जाँ सै. बूज सतीं भी म्हारी छोटी-छोटी भरोटी (घास की गठरी) बणी. अर मैनें तो दुचाब जङ सूदां  ऐ  पाड़ी    थी.
घरीं जाण्दीं हाण, राह में मुख्तयारी बोली, "हाँ ऐ आज तेरी दादी दुचाब का के करैगी"। में बोली भहाण (बहन) म्हारी ऊक्स्णी (दुचाब घास के बने स्क्रैबर, जिनसे बिलौना धोया जाता है) सामङ (खत्म) री सैं अर मेरी दादी दुचाब की ऊक्सणी ब्णावैगी.
दुचाब घास

बिलौना(दही बिलौने का मिटटी का बर्तन)


ऊकसणी

50-60 दुचाब की जङ
एक जेवंङी (रस्सी) छोटी सी
बनाना: सारी दुचाब की जड़ नैं आगे अर पाछे तैं काट कीं 3-4 इंच की काट कीं अर जेवंङी तैं बाँध द्यो बहोत बढ़िया ऊक्सणी बन जावंगी


आछा भई (भाण अर भाइयों)
राम-राम!

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