यदि पुराने कपड़ों का इतना सुन्दर उपयोग हो सकता है तो फ़िर उन्हें उपयोग में क्यों न लाया जाय. हरियाणा में एक बड़ा रिवाज है किसी भी मौके पर लड़कियों (बुजुर्ग,युवा, बच्चियां चाहे कोई हों ) को उपहार स्वरूप तील (सलवार सूट अथवा साड़ियाँ) दी जाती हैं. और वो ईतनी ईकट्ठी हो जाती हैं कि तीलों के रूप में बांटी जाने के बाद भी पहनने के कपड़ों के ढेर लग जाते हैं. मुझे तो जो भी तील (सूट का कपड़ा) मिलता है उसे मैं तुरंत सिल लेने की आदि हूँ कई बार तो मेरे सूटों का नंबर १०० तक पहुँच जाता था.
फ़िर कभी उनके मैंने बैग बनाए, कभी कुछ बनाया तो कभी कुछ.यह ऊपर दिये टेबल मैट मैंने अपनी सल्वारों के बनाए थे जिनके ऊपर कमीज फूलों वाले थे....इसमें मैंने लिरों की चोटियाँ सख्त गूँथ कर उन्हें आड़ा कर जोड़ा है. जिससे कि ज्यादा लम्बी चोटियाँ होने पर भी मैट छोटी परन्तु सुन्दर और टीकाउ बनती है, और ऊपर से यह रस्सी से बनी लगती है..
देखिये इसी एक मैट जिसमें पुरी साड़ी लग गई थी जो मुझे कभी किसी ने तील के रुप में दी थी, जिसे मैंने कभी पहना नहीं था...उसके पहले बरामदे के बड़े परदे बनाए थे फ़िर उसकी मैट बना दी थी जो वुमन्स एरा के वर्ष २००६ अंक में छपी थी, नीचे देखें वुमन्स एरा का कवर पेज.
नीचे देखिये वीडियो कि इन्हें कैसे बनाया जाय...
शब्बा खैर!
नीचे देखें यह 
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