मैंने तो अपने घर में ढेर सारे मैट बना रखे हैं ,मैंने यह मैट सभी कमरों के सामने शनानघर और रसोई घर के सामने और फ़िर मेज पर ग्लास, कप के नीचे फ़िर गुलदस्ते के नीचे ताकि मेज की कीमती सतह खराब होने से बची रहे.....यों तो इन डोर मैटों का इत्तिहास बड़ा पुराना है सन १९२० में ज़ब कहत पड़े थे तब महिलायें घर की किसी भी पूरानी चीज को बाहर नहीं फैंकती थी. चीजें पुरानी हो जाने पर वे उसका उपयोग किसी न किसी रूप में जरुर करती थी। मेरे पिता अंग्रेजों के बड़े प्रशंषक थे....कहा करते थे कि अंग्रेज बड़े मितव्ययी थे ...खैर में डोर मैटों पर आती हूँ...घर में बड़े-बड़े कालीनों के स्थान पर जगह -जगह पर "एरिया मैटों " को रखा जाऊ यह बड़े काम की चीज हैं...
नीचे देखिये यह मैंने पुराने कपड़ों की २-२ इंच की पट्टियां काट कर उनकी चोटियाँ बना उन्हें अंडाकार में सुई धागे से जोड़ दिया है...
इन्हें बनाना बड़ा आसान है और इनका रखरखाव भी आसान है ..इन्हें गंदा होने पर आप धो-सुखा कर फ़िर से इस्तेमाल कर सकती हैं...
यह गोल मेट मैंने एक पुरानी साडी/saadii का बनाया था इसका बनाने का तरीका लिख बता कर इसे वूमंस एरा में प्रकाशित करवाया था ..ऊपर देखिये यह बिटिया की गुडिया का गलीचा बना है साथ में बिटिया की फोटो है..जिसके लिये इसी समय jअब वह छोटी यानी कि गुडिया जैसी थी तब मैंने उसके लिये यह गुडिया बनाई थी।
यह मैट पूरी एक साडी / saree में बना है इसमें चोटियों को खडा कर जोड़ा गया है..
सलवार कमीज से बना यह रेग रग अब कुछ पुराना हो गया है इसे उलटी तरफ से मैंने कपड़ा लगा कर सुरक्षित कर रखा है और इसे एक तरफ से ही इस्तेमाल किया जाता है .पुराना होने पर इसके नीचे लगे कपड़े को उतार कर इसे दूसरी तरफ से इस्तेमाल किया जा सकता है .यह फ़िर से नया निकल आयेगा.यह मैट पूरी एक साडी / saree में बना है इसमें चोटियों को खडा कर जोड़ा गया है..
इस वीडियो में आप देखा सकती हैं कि इन मैट / रेग रग को
कैसे बनाया जाता है ...आपको आसानी रहेगी...
शब्बा खैर!!!
No comments:
Post a Comment