देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शुमार ...अहा ज़िन्दगी में मेरी बेटी का लेख ....यह पहला मौका नहीं है...पहले भी उसके लेख छपते रहे हैं....पर इस लेख पर बहुत प्रतिक्रियाएँ आई हैं...
मैं प्रफुल्लित हूँ मेरी बेटी का लेख बिना इंसान के रहेगी ज़िंदगी .....अहा ज़िंदगी में छपा है।
यहा देखें दोनों पेज़.....
शब्बा ख़ैर!!!
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