Wednesday, January 27, 2021

Belated birthday of Netaji

23rd January 2021 was Netajis 125th Birth Anniversary,I salute him on his B day



1938 के अकाल में हिसार जिले में  भूख के मारे 50 हजार गायों ने दम तोड़ दिया तो चारे की कमी जूझ रहे हिसार के लोगों ने मजबूरीवश 2 लाख पशुओं को कोडिय़ों के भाव बेच दिया था। ज्यादातर लोगों की हालत ऐसी थी कि शरीर पर चमड़ी कम और कंकाल ज्यादा नजर आता था। कांग्रेस अकाल(कहत)कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते नेताजी की ओर हर कोई उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था।




1938 में लाला हरदेव सहाय का 29 दिसंबर को छपा ग्राम सेवक अखबार जिसमें यह शीर्षक दिया गया
कहा था, हम गुलाम न होते तो अकाल से भी निपट लेते
कटला रामलीला मैदान में संबोधन के दौरान नेताजी ने कहा कि हमारी सारी तकलीफों की जड़ गुलामी है। अगर हम गुलाम न होते तो अकाल अगर पड़ता भी तो इससे निपटने के इंतजाम पहले ही कर लेते। 

ब्रिटिश सरकार ने सुध ही नहीं ली। वे मंच पर पहुंचे तो शेख बदरूदीन ने उनके स्वागत में नज्म पढ़ी थी। बाबू पृथ्वीचंद ने स्वागत भाषण पढ़ा तो उनके साथ पंडित नेकीराम शर्मा, लाला हरदेव सहाय, लाला सत्यनारायण, पंडित कुंजलाल ने भी मंच साझा किया। रामलीला कटला मैदान की जनसभा के संबोधन के बाद नेताजी टिब्बा दानाशेर के लिए निकल गए। जहां पशुओं के इलाज और उनकी भोजन व्यवस्था करने के लिए बांबे शिव दया मंडल संस्था व्यवस्था संभाल रही थी। वहां देखरेख के बाद वे पास के ही गांव धांसू में पहुंचे और भूख से जूझ रहे कंकालनुमा हो चुके लोगों को देखा तो दुखी और भावुक हो गए। यहां से वे छोटी सातरोड गांव में बनी शिल्पशाला पाठशाला भी गए।


मेरे पिताजी उस समय दस वर्ष के थे और सातरोड के उस स्कूल के  हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहे थे. 

My father was ten years old at the time and was studying in the hostel of that school in Satrod.
click HERE for my previous post on Netaji.



beautiful bed spread





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