Wednesday, December 14, 2011

वर्षों पुराना प्रोजक्ट पूरा हुआ, this is fabric+crochet project

अंतत: यह बैड कवर में परिणित हुआ. वर्षों पहले मैंने सिलाई से बची कतरनों को चौकोर टुकड़ों में काट उन्हें चारों और से क्रोशिये से सजाया और फिर इन्हें जोड़ कर यह बैड कवर बना दिया इसके चारों और फिर से क्रोशिये से लेस बना दी. अब यह बहुत ही खुबसूरत चीज बन गई है...इसे परदे की रोड पर टंगा देखें और दरवाजे पर लटका भी और इसे नजदीक से भी देखें. यह कतरने अन्यथा फैंक दी जाती.. 

see the link of the project .HERE





मुझे खाली बैठना पसंद नहीं है. रिसर्च के लिए यात्रा करते वक्त मैं कार/जीप/अथवा वेंन में बैठ कहीं जाती थी तो रास्ते में कुछ-न-कुछ बनाती रहती थी. यदि मेरे पास कोई प्रोजक्ट हाथ में नहीं होता तो फिर में क्रोशिये से लेस बनाती थीमेरे पास बहुत सी लेस इकट्ठी हो गई है. मैंने कुछ लेस इस चौकोर चेक पर सिलाई कर दी. दिवाली पर जब बेटी घर आई थी तब वह यह चेक दो टूकडे काट गई थी की एक कम्प्यूटर पर तथा दूसरा टी वी पर डाल देंगे और वह मुझे कहती रही थी कीमम्मी इन पर क्रोशिया कर दो पर मुझे अब तक समय नहीं मिला कल मेरे सामने यह लेस पद गई और मैंने इसे इस कपड़े पर सिल दिया और दूसरा अभी बाक़ी है.
खुबसूरत चीजें सभी को अच्छी लगती हैं ....और इसे आज मेरी भानजी ने इस स्टूल पर बिछा कर इस पर फूलदान रख दिया...वरना यह कपड़ा वह कंप्यूटर अथवा टीवी पर भी नहीं ढकती थी


शब्बा खैर!!

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