आज सुबह पार्कमें
घूमते हुए सफेद आक की चर्चा
हुई और
पता चला
कि यह गणेश भगवान से
संबंधित है..आकर पढ़ा
तो यह
पाया................बाकी यहाँ
पढ़ें
आक दो तरह के होते हैं सफेद आक कं ही दिखे देताहै..| इसकी जड़ पुरानी हो तो उसमें स्वत: ही गणेश जी की प्रतिमा बन जाती है | यह प्रक्रति का एक आश्चर्य ही है | श्वेतक आक की जड़ (मूल ) यदि खोदकर निकल दी जाये तो निचे की जड़ में गणपति जी की प्रतिमा प्राप्त होगी | इस प्रतिमा का नित्य पूजन करने से साधक को धन-धान्य की प्राप्ति होती है | यह प्रतिमा स्वत: सिद्ध होती है | तन्त्र शास्त्रों के अनुसार ऐशे घर में यंहा यह प्रतिमा स्थापित हो , वंहा रिद्धी-सिद्ध तथा अन्नपूर्णा देवी वस् करती है ,…
हमारे यहाँ आक के दूध को चरखे की म्हाल पर लेपा जाता ता इससे वह् सख्त और टिकाऊ हो जाती थी. चरखे के सुाई पर भी इसे लगाया जाता था.
शब्बा खैर!!!!!!
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