पिछले दिनों हिंदी अकादमी दिल्ली में भगतसिंह साहित्य महोत्स्व मनाया गया यह महोत्स्व उन रचनाकर्मियों को भी समर्पित था जो लोकतांत्रिक मूल्यों की खातिर अपनी जान पर भी खेल गये, उनमें से कुछ हैं - नरेंद्र डभोलकर, गोविन्द पनसरे, एम.एम. कुलबर्गी , गणेशशंकर विद्यार्थी, राम प्रसाद बिस्मिल
, अशफाक उल्लाह खान . मैंने इन सबको बहुत पढ़ा है यहां गणेशशंकर विद्यार्थी, पर लिखा मेरा एक लेख जो जुलाई, 1990 में छपा थाप्रस्तुत है।
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यहां गणेशशंकर विद्यार्थी, पर लिखा मेरा एक लेख जो जुलाई, 1990 में छपा था प्रस्तुत है।
xoxo
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