क्रोशिये की यह ड्रेस मैंने अपनी बेटी के लिए 1980 में बनाई थी उसके बड़े होने पर घर परिवार में उसे पहनने वाली कोई बच्ची नहीं थी अतः यह ड्रैस 6 -7 वर्ष तक अलमारी में पड़ी रही बेटे के बड़े होने पर उसे लड़की बना कर यह ड्रैस उसे पहना कर फोटो खिंचवाई पैटर्न लिखा और सरिता में सितंबर 1987 के अंक में इसे प्रकाशित करवाया नीचे यह ड्रैस प्रस्तुत है इसे मेरे बेटे ने पहन रखा है याद है उसे पहन कर फोटो खिंचवाते समय उसने बहुत शरारत की थी स्टूडियो में फोटोग्राफ्रर को उसका सही पोज़ लेने के लिए बहुत मशक्क्त करनी पड़ी थी और मुझे बहुत मनुहार करनी पड़ी थी. आज सरिता के पेज़ भी बहुत पीले पड़ गये हैं. इतना ही नहीं यह ड्रैस फिर मेरी छोटी बहन की लड़की ने जो मेरे बेटे से 3 वर्ष छोटी है खूब पहनी फिरउसे किसी को दे दिया तो यह होता है अपने हाथों से बनी पोशाक का गुण वह खूब चलती है और याद बनी रहती है.
I started crocheting when I was in grade II. My neighbor friends all had their projects about crochet for their Home Science class and I just can’t wait to try.
My mother was my first teacher. She taught me how to make a single chain.
It was fun and it was (I then thought) easy so I asked her to teach me more. And so I learned other basic stitches but I cannot make something pretty and usable… Almost all my first works were circular since I cannot make uniform stitches.
Our neighbor taught me how to make the granny square. It was then I thought that I could make my own patterns and motifs then attach them with another…
xoxo
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