Thursday, November 21, 2019

spiritual musings, village pics

प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: |
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || 27||

BG 3.27:All activities are carried out by the three modes of material nature. But in ignorance, the soul, deluded by false identification with the body, thinks itself to be the doer.

आज कम्प्यूटर की एक पुरानी फाईल में ११/६/२००७ की खींची कुछ फोटो मिली इन्हें मैं यहां पोस्ट कर रही हूँ.

 आजकल गाँव बड़ी तेजी से बदल रहे हैं, इसलिए जब भी मुझे पुरानी फोटो मिलती हैं मैं उन्हें सहेज लेती हूँ  
 गाँव के तालाब में ये भैंस बहुत मस्ती करती हैं,यह इनके लिए एक स्वर्ग है।  जब भी कोई इन्हें जोहड़ में पानी पिलाने और नहलाने ले जाता है तो वे इसमें घुस जाती हैं और घंटों वहां से निकलने का नाम नहीं लेती फिर तो किसी को इस तालाब के अंदर तक जाकर ही निकालना पड़ता है। 

gurudwaaraa, Pinjokhraa saahib

 


ICAR प्रोजेक्ट में काम करते वक्त हम इस गांव गए थे और इस गुरूद्वारे के लंगर में खाना खाया था बहुत ही स्वादिष्ट खाना था.



यहां पर मूंगफलियों को जमीं से निकाला जा रहा है।  पिछले कुछ वर्षों से यहां पर मूंगफलियों की खेती करने का बहुत चलन हो गया है। 
pruned khejari tree waiting for the rainy season 

इस खेजड़ी के पेड़ को देख कर मुझे अपने खेत के,जांडी के पेड़ की याद आ जाती है, साधी की फसल काट ने के बाद इनकी छंटाई कर दी जाती है, जिसे हमारे गाँव में पेड़ छांगना कहते हैं हमारे खेत में एक जांडी का पेड़ था एक बार मैंने उसे छांगा था छांगते समय अपनी इच्छानुसार उसकी टहनियां छोड़ दी जाती हैं ताकि पेड़ तरतीबवार लगे. 

irrigation canal


इस रजबाहे में एक बार बहुत पानी भरा था और हम जीप से इसके किनारे-किनारे जा रहे थे जब जीप को वापिस मोड़ना था तो इतनी संकरी और गीली जमीं पर उसे मोड़ना बहुत मुश्किल था जो हमारे ड्राइवर ने बखूबी किया।

village shyaahdvaa near hisar city.


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