सांझी (माँ देवी)
सांझी को माँ देवी के रूप में दशहरे से पहले पूजा ज़ाता है । हरियाणा में अक्सर क्वारी लडकियाँ माँ कि पूजा करती हैं। दीवार पर माँ की आकृती बनाने के लिए तालाब से गीली मिटटी लाकर उससे चाँद, तारे सूरज एवं माँ के चेहरे कि आकृतिया बना कर उन्हें सूखा लिया ज़ाता है।
फ़िर उन आकृतियों को दीवार पर गोबर कि सहायता से चिपकाकर माँ की पूरी आकृती बनाई जाती है...
देखिये नीचे माँ की आकृती को दीवार पर बनाया गया है....
माँ की आक्रती आसोज के शुक्ल पक्ष के अंत में लगाया ज़ाता है.
दशहरे के पहले तक रोजाना शाम को माँ की महिमा में गीत गाये जाते हैं...
दशहरे के दिन माँ की पूजा अर्चना की जाती है, फ़िर दीवार से सारी सामग्री कुचर कर उतार ली जाती है। मिटटी के एक कुल्हड़ में पेट पर चारों और छेद कर के उस में माँ का चेहरा डाल दिया ज़ाता है और उस कोल्हड़ में दिया जलाया जाता है।
सभी लडकियाँ माँ की महिमा में गीत गाती हुई अपने-अपने सीर पर कुल्हड़ उठाये हुए तालाब तक जाती हैं और कुल्हड़ तालाब में बहा देती हैं...
इसके बाद भी कुछ....
गावँ के लडके लट्ठ लेकर वहां पहुंचते हैं और कुल्हड़ों को तालाब के पार दूसरे छोर तक जाने से रोकते हैं, कुल्हड़ों को तालाब के पार तक ले जाना अशुभ माना जाता है.
इस तरह होती है हरियाणा में माँ की पूजा।
visited firozsha's tomb in Delhi on 10.13.2010
i visited my daughter in Delhi on 10.12.2010, she and her daughter were in Delhi Haat
दशहरा मुबारक!
जय माँ!
सांझी को माँ देवी के रूप में दशहरे से पहले पूजा ज़ाता है । हरियाणा में अक्सर क्वारी लडकियाँ माँ कि पूजा करती हैं। दीवार पर माँ की आकृती बनाने के लिए तालाब से गीली मिटटी लाकर उससे चाँद, तारे सूरज एवं माँ के चेहरे कि आकृतिया बना कर उन्हें सूखा लिया ज़ाता है।
फ़िर उन आकृतियों को दीवार पर गोबर कि सहायता से चिपकाकर माँ की पूरी आकृती बनाई जाती है...
देखिये नीचे माँ की आकृती को दीवार पर बनाया गया है....
माँ की आक्रती आसोज के शुक्ल पक्ष के अंत में लगाया ज़ाता है.
दशहरे के पहले तक रोजाना शाम को माँ की महिमा में गीत गाये जाते हैं...
दशहरे के दिन माँ की पूजा अर्चना की जाती है, फ़िर दीवार से सारी सामग्री कुचर कर उतार ली जाती है। मिटटी के एक कुल्हड़ में पेट पर चारों और छेद कर के उस में माँ का चेहरा डाल दिया ज़ाता है और उस कोल्हड़ में दिया जलाया जाता है।
सभी लडकियाँ माँ की महिमा में गीत गाती हुई अपने-अपने सीर पर कुल्हड़ उठाये हुए तालाब तक जाती हैं और कुल्हड़ तालाब में बहा देती हैं...
इसके बाद भी कुछ....
गावँ के लडके लट्ठ लेकर वहां पहुंचते हैं और कुल्हड़ों को तालाब के पार दूसरे छोर तक जाने से रोकते हैं, कुल्हड़ों को तालाब के पार तक ले जाना अशुभ माना जाता है.
इस तरह होती है हरियाणा में माँ की पूजा।
visited firozsha's tomb in Delhi on 10.13.2010
i visited my daughter in Delhi on 10.12.2010, she and her daughter were in Delhi Haat
My daughter at delhi haat on that day |
Her friend |
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