देखिये यह जूट का कढाई कर बनाया कलैंडर जो मैंने वर्षो पहले बच्चों के लिए बनाया था
क्रोस स्टिच से कढ़ाई कर शब्द लिखा काज स्टिच कर तीन छेद निकाले उनके पीछे रिबनों पर महीने के दिन सप्ताह के दिन और तारीखों को लिखा और पीछे घुमाने के लिए लटका दिया ताकि उन्हें बदला जासके।
डंडिया कपड़े लपेटने वाली हैं जो की की दूकान से ली थी। गोटे से लटकन टांग दी गई .
ऊपर मोरों के पास देखिये दीपदान ...
नीचे देखिये मोर ...
और यह दो मोर आमने सामने नीचे परियां गुब्बारे लिए हुए...
बच्चों को लुभाने के लिए
नीचे तस्वीर देखिये ...
यह कढाई मैंने वर्षों पहले कुशन क्व
रों पर की थी ...
पुरानी पड़ गई ही...
मैं इन बेल -बूटो , फूलों , परियों ,मोरों और दिए को फ़िर से कढाई कर सहेजूँग़ी .....
ताकि परम्परा का दिया हमेशा जलता रहे, रोशन रहे और परम्परा अगली पीढ़ी के लिये बनी रहे!
शब्बा खैर!
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