इस पर्स का डिजाइन मेरा व्यक्तिगत है और इसे बनाया भी मैने स्वयं है.....
एक कपड़े की उम्र कितनी होती है या
कोई कपड़ा हमको इतना अच्छा लगता है कि
उसे हम अपने पास बनाये रखते हैं
देखिये इस हरे मखमल के पर्स को
इस कपड़े से मेरी मम्मी का सुट( सलवार कमीज़) बना था
बड़ा ही सुंदर सुट था मम्मी के पिता मेरे नाना ने
उन्हें यह मखमल का सुट १९५६ में सीलवा कर दिया था
गले, बाहों, और निचे ट्रिम पर जरदोजी का काम था
बहुत खुद्सुरत सुट लगता था मेरे जहन में याद करते ही उसकी तस्वीर आ जाती है.
१९६७ में जब में 9th में पढ़ती थी तब इस मम्मी के मखमल के
यह सभी फोटो अभी ली हैं अब इसके कोने घिस गये हैं
बार -बार निकालने और वापिस रखने के कारण
आब यह मेरे बेड के सिरहाने के बॉक्स में रहता है
इसमें आलतू फ़ालतू चीजें रखी रहती हैं
अभी में इसे और कितने दिन रखने वाली हूँ
भगवान् जाने
आप भी बनाइए इसे बड़ा आसान है
यह अपने आप खडा रह सकता है
इसे अन्दर से बेटे के पुराने रक्सिन के स्कूल बैग से बनाया गया है
अस्तर मेरे साडी से बने पुराने सुट का लगाया था, यानी सभी पुरानी चीजें इस्तेमाल की गईं थीं.
है ना "ग्रीन लिविंग" लाइफस्टाइल मेरी.
सुट से मैंने अपना सुट बना लिया था.
१९८६ में मैंने अपने इस हरे मखमल के सुट को काट कर यह पर्स बना लिया था
मैनें इसे खूब इस्तेमाल किया बड़ा ही सुन्दर लगता था
में इसे कोलेज ले जाती थी, बाज़ार भी ले जाती थी,
सिनेमा देखने जाते समय भी ले जाती थी.
अन्दर भी पुराना कपड़ा लगा है....इस फिरोजी रंग की ममी क़ी पुरानी साड़ी से मैने अपना सूट बनाया था ...बहुत खुबसूरत लगता था यह..... फ़िर इसकी मैने इस मखमल के पर्स मैं लाइनिंग लगा ली....
इस पर्स के अंदर लाइनिंग और मखमल के कपड़े के बीच मेनें बेटे के रेक्सीन के स्कूल बैग की वेडिंग लगाली इससे इस पर्स को बोडी मिली और यह स्वय बिना किसी सहारे के खड़ा रह सकता है....
देखिये पेड़ की टहनियों के बीच ..
इसकी फोटो खीचना और देखना मुझे बड़ा अच्छा लगता है।
रिसाइकिल कर चीजों को दोबारा इस्तेमाल कर हम अपनी सुखद यादें बरसों तक सहेज सकते हैं, और माँ धरती पर बेकार चीजें फैंक कर उस पर उनको गलाने का अनावश्यक बोझ भी हम काम करते हैं.....
और हम पर्स क़ी अपनी जरूरत के लिये नया कपड़ा यदि लेंगे तो कितने साधन अतिरिक्त लेने होंगे जो अनावश्यक बोझ डालेगा हमारी ज़ब पर....
आप भी चीजों को रिसाइकिल और रि यूज कीजिये ...
XOXO
इसकी फोटो खीचना और देखना मुझे बड़ा अच्छा लगता है।
रिसाइकिल कर चीजों को दोबारा इस्तेमाल कर हम अपनी सुखद यादें बरसों तक सहेज सकते हैं, और माँ धरती पर बेकार चीजें फैंक कर उस पर उनको गलाने का अनावश्यक बोझ भी हम काम करते हैं.....
और हम पर्स क़ी अपनी जरूरत के लिये नया कपड़ा यदि लेंगे तो कितने साधन अतिरिक्त लेने होंगे जो अनावश्यक बोझ डालेगा हमारी ज़ब पर....
आप भी चीजों को रिसाइकिल और रि यूज कीजिये ...
Here is another post for this purse only ............http://kalewa.blogspot.in/2010/09/me-made.html
XOXO
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