Saturday, November 6, 2010

दीपावली पर विशेष!

दीपावली पर घर का हर कोंना-कोंना साफ किया जता ही.... फ़िर निकल कर आती हैं साल भर पहले सहेज कर रखी गई चीजें जिन्हें पिछली दीपावली को रखा था और फ़िर आज ही देखा ही.


नीचे देखिये घर के कोने मैं रखे गमले पर रौशनी....जिसे मेरी भतीजी ने हफ्ता पहले ही सजा दिया था.

नीचे देख़े घड़ी तक को रोशन कर दिया है.


यह मैने स्वय बनाये कपड़े की लिरों की रस्सियों से गोल मेट बनाया है ...बड़े दिनों से रस्सियाँ बनी पड़ी थी जिनका इस्तेमाल दिवाली के मौके पर हुआ है.

यह देखिये अँधेरे कमरे मैं पौधा कैसे जगमगा रहा है.

यह धागे से बना रुमाल मैने २-३ वर्ष पसले क्रोशिया से बनाया था, जो सहेज कर रखा था कि इस का पैटर्न लिखूंगी और छपने के लिये भेजूंगी।

यह गोल कोस्टर धागे खत्म होने की वजह से कई सालों से अधूरा पड़ा है....इस बार इसको भतीजी कि टोपी बना कर इसका इस्तेमाल करूंगी इसके जैसेह धागे अब मिलने मुश्किलहैं

ऊपर देखें लेस जो कि मेरे पास ढ़ेर सारी पड़ी है...ज़ब भी मैं कही जाती हूँ रास्ते मैं बुनने के लिये एक गोला धागा और एक क्रोशिया ले जाती हूँ ...फ़िर हो जाती है लेस कि बुनाई शुरू...अगली किसी पोस्ट में मैं इसका राईट -अप जरुर लिखूंगी..
ऊपर देखिये बैग इसे सफेद बिना बुर के तौलिये पर कढाई कर बनाया गया है...बी एस सी कर ज़ब में चंडीगढ़ अपने गहर गई थी ...वहीँ मेरा बेटा पैदा हुआ था ...तब मैने यह बैग बनाया था जिसपे लगा फिरोजी कपड़ा मेरे सूट मेंसे था इस तरह के सूटो से मैच करते बैग मैने कई सारे बनाये थे.....
यह देखिये मैट का क्लोज-अप
हैप्पी विश्वकर्मा दिवस!

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