ज़ब मेरा बेटा छोटा था...
ज़ब मेरा बेटा छोटा था तब मैने क्रोसिये का बहुत काम किया था!
कारण ? मेरा बेटा एक पल भी मुझ से दूर नहीं होता था, और मैं मजबूरन उसके पास बैठी क्रोसिया बुनती रहती थी.
उसी समय मैने यह लाल मैक्रेम तार का बैग बनाया था....
और यह सफेद काले प्लास्टिक के मोती गुंथे हुए....
जी हाँ यह अब भी मेरे पास सुरक्षित हैं....और यह फोटो अब के लिये हैं....
नीचे क्लोज-अप देखिये यह इनसे बचे तारों से छोटा पर्स मैंने था....
देखिये यह फर्श पर ...
और यह स्टूल पर...
इसकी लाइनिंग कुछ ऐसी लगी थी कि जगह छोटी पड़ रही थी...
मैने इसकी लाइनिंग उधेड़ कर इस पर फ्लैप बनाई .....
इसके हैंडल लगाकर एवं लाइनिंग और ज़िप वाली जेबें लगा कर इसका स्पेस बढ़ा इसे ज्यादा उपयोगी बनाने का मेरा ईरादा है.....
यह हंडल बने पड़े हैं
अभी काम बाकी है.... बटन, हैंडल, जेबें लगानी बाकी हैं.....
यदि संभाल कर रखी जाएँ तो कितने समय तक चलती हैं चीजें.....
मेरा बेटा ज़ब मैने ऊपर दिये पर्स बनाये थे ....उसके कुछ दिनों बाद स्टूडियो की गर्मी में नाराज होते हुए.... यहाँ मिसेज डी सी से के जी की डिग्री लेते हुए .....अब वह के जी ग्रेजुएट हो गया था...
और मेरे बेटा अब....देखिये अब यह बड़ा हो गया है.....
My daughter attended her teacher's Marriage at Muzaffarpur
My daughter tired after Marriage celebrations |
Her Sir with newly wed wife |
शब्बा खैर!
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