कल हम हांसी के पास अपने गाँव गये और अपने घर को सम्भाला
देखिये घर का उपरी हिस्सा, इसे नानू ने पुरानी हवेली गिरवा कर बनवाया था। नानू ने इस भव्य इमारत को एसा मजबूत बनवाया था कि आज भी कहीं किसी कोने को झड़ा हुआ नहीं देखा जा सकता.
देखिये घर का उपरी हिस्सा, इसे नानू ने पुरानी हवेली गिरवा कर बनवाया था। नानू ने इस भव्य इमारत को एसा मजबूत बनवाया था कि आज भी कहीं किसी कोने को झड़ा हुआ नहीं देखा जा सकता.
नीचे आँगन के ऊपर यह लोहे का जाल.
नीचे बेरों का बाग़
पहले यहाँ अमरुद, माल्टे, आडू भी हुआ करते थे, नानू ने एक बार अंगूर भी लगाये थे जो कामयाब नहीं हुए थे.
बावजी के गुजरने के बाद हमारा बाग़ में जाने का यह पहला मौक़ा है, बाग़ काफी खस्ता हाल में ही.
यह सामने फार्म हाउस था, जिसके सामने कभी गोबर-गैस प्लांट था और बाजू में कोल्हू था जिसमें गुड बनाया जाता था नानू खाने वाला गुड(खुद्दा) बड़ी मात्रा में बनवाते थे जिसमें बादाम, नारियल डलवाते थे, सामने कुछ बादाम के पेड़ भी थे
यह सामने रास्ते के आजू-बाजू दो आम के पेड़ हैं.
ऊपर मेरे नानू भाषण देते हुए, साथ में हाथ पर पट्टी बांधे चौधरी सूरजमल( उस समय पंजाब विधानसभा में मंत्री) बैठे हैं.
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