Saturday, February 4, 2012

कुछ क्षण बेटी के साथ...

कुछ दिनों से बिटिया घर आई हुई है उसे गुलाबी लस्सी और गुलाबी मक्खन बहुत पसंद है
मैं उसकी पसंद पुरी करने माँ जुटी थी और वह मशीन चलाना सीख रही थी...गुलाबी लस्सी ..यह लस्सी मुझे मेरी दादी की याद दिलाती है ...मेरी दादी ऐसी ही लस्सी बनाती थी हमारी बिलौनी हमेशा गुलाबी लस्सी से भरा रहता था जिसे दादी दोपहर १ बजे के करीब धोती थी ...बिलौणी में टोकसी (नारियल के छिलके की कटोरी) हमेशा तैरती रहती थी .
गुलाबी मक्खन
शुक्र है!! बिटिया ने अब तो दिखाई कुछ घरेलू कामों में रूचि....बचपन से ही उसे घरेलू कामों से अरूची रही है....या यूँ कहिये कि उसे हमेशा ही कुछ-न-कुछ पढ़ते रहने की आदत रही है ...स्कूल की पढाई के बाद अगर और भी कुछ पढ़ा जाय तो फ़िर समय तो हमारे पास दिन में २४ घंटे ही है ना.....वह कवयित्री/साहित्यकार है .... मेरे छपे लेखों को वह देखती तक नहीं कि मम्मा साहित्यिक रूचि के लोग इन मैगजीनों को छुते तक नहीं .....परन्तु मेरा रिसर्च के आधार पर लिखा और बहुत पहले WLJ वर्ल्ड लेज़र जर्नल में छपा पेपर कुछ दिन पहले ज़ब उसने पढ़ा .....शायद उसे कुछ प्रेरणा दे गया
मात्र सिर्फ सीधी सिलाई में ही वह खुश है.....
और फ़िर बाथ- रूम की सफाई करने में भी मैं जुटी थी..... मुझे अपना बाथ बिलकुल साफ़ चमकीला चाहिए होता है !!!!....कैसे फ़िर कभी!!!!


XOXO

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