देश
की सर्वाधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शुमार ..अहा जिंदगी.. के अगस्त २०१३ अंक में भी मेरी बेटी की कुछ कवितायें प्रकाशित हुई हैं। शुरुआत हुई है पृष्ठ संख्या
42 से, जहां मेरे घर में खिले जटरोपा के फुल छपे हैं यह भी एक संयोग है.
अगले
ही पेज पर साहित्य अकेडमी पुरस्कार
एवं
पदमश्री से सम्मानित ख्यातिलब्ध साहित्यकार स्किन बॉण्ड की कहानी बाँसुरीवाला
छपी है. पिछले वर्ष बेटी ने रस्किन बॉण्ड की कहानियों की किताब Ghost_Stories_From_The_Raj का हिन्दी अनुवाद किया है जो शीघ्र ही प्रकाशित होने
वाली है।यह भी एक संयोग ही है. इस प्रतिष्ठित पत्रिका ने मुझे
(कवितायें पढ़ने के लिए चीत्र को दो बार चटकाएं) |
उसे यह मौक़ा शायद छठी बार मिला है। इससे पहले के साहित्य महाविशेषांक
में भी मेरा लेख छपा है. दैनिक भास्कर समाचार
पत्र समूह की यह पत्रिका हिंदी जगत की सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका है। यह
पत्रिका उन क्षणों में साथ देती है जब मन में कहीं निराशा जग जाए, और यह निराशा तो
हर व्यक्ति में कभी न कभी जगती ही है। यह जीवन के उल्लास से आपका दोबारा परिचय कराने
लगती है। इसलिये भी, मैं इसकी फैन हूं। बिल्कुल अलग शैली की इस पत्रिका की मैं पिछले
अनगिनत वर्षीं से परिचित हूँ और पिछले कुछ वर्षों से इसकी नियमित पाठक हूं। ऐसे
में यहां अपनीबेती के लेखों को प्रकाशित देखकर मैं प्रफुल्लित हूं।
यहां देखें अहा जिंदगी-
शब्बा खैर!
No comments:
Post a Comment