पिन कोड : 127040
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इस तस्वीर में जहां भैंस बंधी हैं यहाँ बहुत बड़ा चबुतरा होता था (जिसे पटवारी वाला चबुतरा कहते थे) जहाँ होली से कई दिन पहले रात तकरीबन २-२ बजे तक लडकीयाँ नाचती और गीत गाती थी. |
जिला भिवानी
के तोशाम तहसील
में स्थित हरियाणा
का मेरा गाँव खरकड़ी माखवान है. य़ह तोशाम तहसील से पांच किलोमीटर दूर है. खरकड़ी माखवान गाँव की भिवानी जिले से दूरी २५ किमी० है। इसके आस पास गाँवो में झांवरी ( 1 किमी० दूर), लक्षमंनपूरा ( 1 किमी० दूर), सरल (3 किमी० दूर),खरकड़ी सोहन (3 किमी० दूर), सागवान (8 किमी० दूर), बागनवाला (3 किमी० दूर), थलौड़ (७ किमी० दूर), दुल्हेड़ी (8.5 किमी० दूर), पटौदी (१०.५ किमी० दूर) स्थित है.
कोड़ामार (कोरडामार ) होली |
बरसाना
की लठमार होली की तर्ज़ पर हरियाणा में कोड़ामार (कोरडामार ) होली मनाई जाती है। एक लम्बे कपड़े को लपेट कर और मरोड़ कर कोड़े(मोटी रस्सी) की शक्ल दी जाती है, जो कि गांव की महिलायें अपने आस-पास होली खेल रहे लोगों को पानी में भिगोकर मारती हैं और होली खेलने वाले लोग उन कोड़ों से बचने के लिए पानी गुलाल और लाठी का प्रयोग कर इस होली का आनंद लेते हैं। जी हां, न रंग, न गुलाल, न पिचकारी, न ही पानी की बैछार, बस मार ही मार। ये भी होली का ही एक रंग है भले ही इसमें रंग कहीं दूर-दूर तक न दिखाई दे । लेकिन इस होली में भी उतना ही प्यार है जितना कि रंगों की होली में। इसे कोड़ा होली भी कहते हैं । ये हरियाणा में खेली जाती है। माना जाता है कि देवर की मरोड़ खत्म करने के लिए भाभी कोडे (हरियाणवी में इसे कोरड़ा कहते हैं) मारती है और कहती है कोडे से मरोड़, खत्म कर दूंगी। वैसे कुछ लोग मानते हैं कि ये ब्रज की लट्ठ मार होली का बिगड़ा हुआ रुप है। इस दिन औरतें साल भर की कसक की भरपाई बूढ़े, बच्चे और जवानो को कोड़े मार कर निकालती है। किसी की भी खैर नहीं होती। सब के सब इस रंग में डूबे रहते हैं । इस होली का क्रेज इतना है कि लोग दूर-दूर से होली खेलने चले आते हैं ।
आर्य समाज मंदिर |
यह हमारे
गाँव का आर्य
समाज मंदिर है।
हमारे गाँव में
लोगों ने सबसे
पहले आर्य समाज
को मान्यता दी
थी. सन 1907 में मेरे परदादा
(Grate grand father) चौ:
स्योराम आर्यसमाज के प्रधान
चुने गए थे
1907 में हमारे
गाँव में आर्य
समाज की कांफ्रेंस
हुई थी उसमें
बहुत विद्वान लोगों
ने हिस्सा लिया
था. मेरे परदादा
ने 100 रुपये
आर्य समाज के
लिए दान दिए
थे.
शब्बा खैर!
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