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कलयुग में दुर्गा
हंसती, गाती नाचती स्त्रियाँ उन्हें रास नहीं आ रही थी उन्हें घुन्नी स्त्रियाँ पसंद थी
साल में एक दिन वे दुर्गा को सजा कर उन्हें
नदी में विसर्जित कर आते थे
और घर आ कर अपनी स्त्रियों को ठुड्डे मार कहते थे
तुरंत स्वादिष्ट खाना बनाओ
यही थे वे जो खाने में नमक कम होने पर थाली दीवार पर दे मार देते थे
बिना कसूर लात-घूस्से बरसाते आये थे
वे महिसासुर हैं
ये तो तय है
पर स्त्रियों
तुम्हारे "दुर्गा "होने में इतनी देरी क्यों हो रही है
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