पिछले कुछ वर्ष इस तरह के शादी के कार्डों का बड़ा रिवाज था मैंने यह सहेज कर रखे थे वैसे भी मैं कोई भी शादी का कार्ड कूड़े में नहीं फैकती !!!!मुझे अपशकुन लगता है!!!!!!!!
सो मैंने इन्हें सहेज रखा था की कभी इनसे वाल हंगिग बनाउंगी.और यह अलुमिनियम की श्री गणेश व श्री लक्ष्मी की मूर्तियाँ मैंने काफी .............कई वर्ष पहले बनवाई थी यह एक अलग कहानी है....जिसे फिर कभी बयान करूंगी सो यह दोनों इधर उधर की चीजें लेकर बनाई गई है
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शादी का कार्ड
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सामने की अलमीरा के ऊपर के खाने में शिरडी के साईँ बाबा विराजमान हैं और अलमारी के बीच में से मेरी रसोई की सामने की दीवार दिखाई दे रही है। असल में यह आलमारी दरवाजे की जगह पर फिट की गई है और इसका डिजाईन मैंने स्वय बनाया था. इस अलमारी की दीवार से मुझे मेरी रसोई में खाना बनाते वक्त घर का में गेट दिखाई देता है. |
ये सारी मूर्ती मैंने घर के सामने ही बनवाई थी बहुत बरस पहले कुछ लोग यहाँ आये थे वे लोहे, अल्युमिनियम ,पीतल के पुराने बर्तनों, तारों ईत्यादि को पिघला कर उनसे यह मूर्तियाँ बना रहे थे। लोगों ने बड़े- बड़े- पीतल और अल्युमिनियम के बर्तनों को पिघलवा कर यह मूर्तियाँ बनवाई थी
विस्तार से बनाने का तरीका फिर कभी
शब्बा खैर!
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