बड़े दिनों से एंकर के धागे रखे हुए थे उन्हें छांट कर अलग-अलग कियाऔर उसका कुछ बनाने की सोची अब हमारे शहर में तो दुकानों पर भी ये धागे नहीं मिलते। जब मैंने धागों की दूकान से कुछ और धागे लेने की सोची तो दुकानदार ने अपने पास रखी कुर्सी के पास एक कार्टन में कबाड़ की तरह उन्हें रखा हुआ था और उन्हें तीन रूपये प्रति गुच्छी के हिसाब से बेच रहा था.मैंने कुछ गुच्छियां खरीदी,और दसुति के कपड़े पर एक ना चती गुड़िया बनाई।
These Anchor threads were kept in a box for a long time, few days back I sorted them out and thought of making something creative out of them, now these threads are not available even in shops in our city. When I thought of getting some more threads from the yarn shop, the shopkeeper kept them like junk in a carton near the chair he had sitted and was selling them at Rs.3 per bunch. I bought some bunches, and embroidered A doll on Dasut(adda) cloth.
xoxo
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