my daughter's column धारिणी दक्षिण भारतीय कवयित्रियाँ और उनके रचनात्मक तेवर तमिल कविता 80 के अंत में दक्षिण भारतीय रचनात्मक संसार में मुहिम चली जिसके तहत कई प्रतिभावान कवियत्रियाँ सामने आयी। उसके बाद तो सुगंधी सुब्रह्मनियम, सलमा, कनिमेशी, कुट्टी रेवती, तन्मेशी, उर्वशी, गौरी, सी वृंदा, कन्नड़ में प्रतिभा नन्द कुमार, ममता सागर, प्रतिभा मुदलियार, सरस्वती एम् आदि मलयालम में कमला दस के बाद गीता हरिहरन के बाद नंदिता, ललिता लेनिन, सावित्री राजीवन, बी संध्या, आशा लता, अनीता तपी और उधर तेलगू में आज़ादी के बाद की पहली पीढी में अब्बूरी छाया देवी, वाणी रंगाराव, शीला सुभद्रा देवी, एन अरुणा, उसके बाद की दूसरी पीढी में ओल्गा, कोंडवीटी सत्यवती, सुधा, घंट शाळा निर्मला जैसे अनेकों नाम लिए जा सकते हैं। आज़ादी के बाद की चौथी पीढी में सक्रिय है। पेशे से डाक्टर कुट्टी रेवती, सन 2002 में उनका 'मुलैगल' नाम से संग्रह निकला। उनकी 'छातियाँ' नाम से आयी कविता काफी चर्चा में रही, इस पर वहां के पुरातनपंथी समाज ने उनकी इस प्रखर अभिवक्ति पर कई पहरे लगाये पर कुट्टी रेवती आज भी अपनी लेखनी में पहले सी मजबूत हैं............http://srijangatha.com Click for free tutorial......... |
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Have nothing in your house that you do not know to be useful, or believe to be beautiful. - William Morris
Tuesday, August 28, 2012
तमिल कविता.......& Are you interested in cup dresses?
Labels:
creativity,
crocheting.
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