मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ
हंस की सालाना गोष्ठी ३१ जुलाई को दिल्ली में हुई हंस हिंदी की पत्रिका मुंशी प्रेमचंद जी १९३० से किकालते थे जो बाद में क्न्हीं कारणों से बंद कर दी गई थी . इसे बाद में राजेन्द्र यादव जी ने बाद में फिर से निकालना शुरू किया हंस की गोष्ठी में हंगामा इस बार हंगामा हुआ एस पर मेरी बेटी की प्रतिक्रिया पढ़ें
Vipin Choudhary http://www.janjwar.com/
मेने मुंशी प्रेमचंद की अधिकतर कहानियाँ पढ़ी हैं आप भी इन्हें पढिये. आज के परिपेक्ष में भी ये तर्कसंगत हैं ..इन्हें यहाँ पढ़ें ..
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