Sunday, January 15, 2012

रजाई भरवाना एक समस्या







मेरे लिये रजाई भरवाना हमेशा ही एक समस्या रहा है .यह मेरी गंदगी को न सहन कर पाने की वजह से है..हर एक सड़क के किनारे सर्दियों में लगे जगह-जगह रजाई भरने के जमावडों को देख ....मन बड़ा खराब होता है .लगातार सड़कों पर चलते वाहनों की गर्द, खुले में पड़ी रजाईयों पर लौटते बच्चे, रजाई भरने के लिये बिछाई तिरपाल पर जूते लेकर घूमते वे लोग और उस तिरपाल पर लौटते कुत्ते। ऐसी जगह पर भरवाई रजाई को भला घर के साफ़ सुन्दर बिस्तर पर कैसे उपयोग किया जा सकता है अथवा वहां भरवाए गद्दों को चारपाई पर कैसे बिछाया जा सकता है। पहले मैं जगह-जगह यह देखती घुमती थी कि कहीं साफ़ सुथरी जगह पर रजाई भरते होंगे तो वहां भरवाउगी। कभी गाँव से भरवा कर रजाई मंगवाती ।
परन्तु अब पिछले कई वर्षों से मैंने एक नया तरीका ढूंढ़
लिया है। मैं ऐसी किसी भी जगह से रजाई अथवा गद्दा भरवा कर उसमें धागे डलवा लेती हूँ । फ़िर उन्हें घर में किसी भारी पेटी के नीचे दबा कर काफी दिनों के लिये रख देती हूँ । फ़िर उन में जमी हुई भरी रुई को धागे तोड़ और सईडों की सिलाई उधेड़ कर निकाल लेती हूँ । और गिलाफ/ लिहाफ के कपडे को अच्छी तरह से धोकर उसे फ़िर से सईडों से सी देती हूँ।
अब गिलाफ/ लिहाफ को उलटी तरफ से ही किसी साफ़ जगह पर बिछा कर उस पर जमी हुई रुई रख देती हूँ॥

देखिये लिहाफ को चारपाई पर रखा है ...इसे उलटी तरफ..यानी सीधी सईडें अन्दर हों ....
ऊपर विडिओ में भी देखिये कैसे रजाई में रुई डाली जा रही है।

रुई को रजाई पर रख उसको लिहाफ के खुले हिस्से की तरफ से रुई डालना शुरू करें॥
देखें लिहाफ का उपरी हिस्सा रुई के साथ मुड़ता जा रहा है.
लिहाफ का एक हिस्सा रुई के साथ उठा लें दो जन किनारों से उसे मोड़ते जाएँ और दुसरे हिस्से को घुमा कर नीचे करते जाएँ इस तरह पुरी रुई अन्दर हो जायेगी और गिलाफ/ लिहाफ का सीधा हिस्सा ऊपर होते हुए रुई अन्दर चली जायेगी। अब गद्दे अथवा रजाई के खुले हिस्से को बंद कर इसमें धागे डाल दें ..लीजिये साफ़ सुथरा गद्दा तैयार हो गया।
मुझे इस पर याद आया हमारे गावं का सौदागर ...जी हाँ उसका नाम सौदागर था वह हमारे गाँव में हाथ से रुई पीनने का काम करता था। पाकिस्तान -हिन्दुस्तान बनने के वक्त ज़ब सभी मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे तो हमारे परिवार ने कुछ मुसलमान परिवार ......लीलगर ...कपड़ा रंगने वाला उमीर ......कोल्हू से तेल निकालने वाला अजमल .....रुई पीनने वाला सौदागर...और एक विधवा जमालो जो सुई धागे बेचती थी ...के परिवार को अपने संरक्षण में गाँव में ही रख लिया था जिनके परिवार अब बहुत बढ़ रहे हैं और उनके पुराने पारिवारिक धंधे अब छुट चुके हैं।

तो यह रहा रजाई व गद्दे भरने का साफ सुथरा तस्स्लीब्क्स तरीका.

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