मुझे महापुरुषों के उदगार बहुत पसंद हैं ....कितना अच्छा लगता है यदि हम किसी ऐसे उदगार को अपने
नेचे देखिये बन्दर की कल खिंची तस्वीर......मैंने लड्डुओं के कुछ पैकेट गणतंत्र दिवस पर बांटने के लिये बाहर के आँगन में रखे थे ...हमारे बाहर धूप में बैठे हुए ही सामने के पेड़ पर बैठे बंदरों की नजर उन पर पड़ गई और वे आँगन में उतर ...पैकेट खोल उन्हें खाने लगे ...मेरी भतीजी ने उनकी तस्वीर अपने मोबाईल कैमरे में कैद कर ली, हम वहीँ बैठे रहे ...में बाहर मशीन रखे बेटी का यह टॉप सी रही थी....जो इस तस्वीर से नीचे .....
सर्दियों में बेटी की पसंद है
मक्की की रोटी और सरसों का साग .....
जिसे मैंने कल बनाया....
संस्कारों में पाते हैं यानि कि हम में वह गुण हैं ....पढ़िए नीचे दिये
इसे पढने के लिये तस्वीर पर चटकाएं .....नेचे देखिये बन्दर की कल खिंची तस्वीर......मैंने लड्डुओं के कुछ पैकेट गणतंत्र दिवस पर बांटने के लिये बाहर के आँगन में रखे थे ...हमारे बाहर धूप में बैठे हुए ही सामने के पेड़ पर बैठे बंदरों की नजर उन पर पड़ गई और वे आँगन में उतर ...पैकेट खोल उन्हें खाने लगे ...मेरी भतीजी ने उनकी तस्वीर अपने मोबाईल कैमरे में कैद कर ली, हम वहीँ बैठे रहे ...में बाहर मशीन रखे बेटी का यह टॉप सी रही थी....जो इस तस्वीर से नीचे .....
सर्दियों में बेटी की पसंद है
मक्की की रोटी और सरसों का साग .....
जिसे मैंने कल बनाया....
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