ज़ब भी किसी की आँख में दर्द होता तो उसकी आँखों में सत्यानाशी पौधे का दूध डालती थी ..मैंने झट कंप्यूटर ओं कर सत्यानाशी का पौधा गूगल किया और मुझे याद भी आ गया कि हमारे खेतों, बाड़ों के डोलों पर यह पौधा खूब होता था ..
और मुझे यह नीचे दी जानकारी भी मिली ..
विलुप्त हो गई जड़ी-बूटियां
http://www.chauthiduniya.com/2010/12/bilupt-ho-gayi-jadi-butiyaan.html
यह ऊपर दिये लिंक में पाया.........
कानपुर में पाया जाने वाला पुनर्नवा, जो आंत की बीमारी और मुंह के छाले में लाभदायक होता है, भी दुर्लभ है. स्वप्नदोष की बीमारी में लाभदायक धतूरा और आंख की बीमारी में उपयोगी सत्यानाशी का दूध भी खोजे नहीं मिल रहा. इसका उपयोग दाद-खाज की दवा के रूप में भी किया जाता है. धान के खेतों में स्वत: उगने वाली गोरखमुंडी ही नहीं, पीलिया की अचूक दवा अमरबेल या आकाशबेल को भी हम सहेज कर नहीं रख पाए. हर जगह मिलने वाली मकोई रसभरी अब खोजे नहीं मिलती. चोपन के जंगलों में पाई जाने वाली वनकवाच या काली कांच की जड़ भी अब हमारे लिए बीते दिनों की बात होती जा रही है. वनकवाच की जड़ पीस कर पीने से स्वप्नदोष और नपुंसकता की बीमारी दूर होती है.
विकी पीडिया में इसका भटकटिया बताया गया है..
शब्बा खैर!!!
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