मावठ का मतलब चने के खेत में बरसात ,जिसकी जरुरत थी हो गई .......
आज तो दिल कार रहा है कि कुछ हरियाणवीमें लिखा जाय आज तो घणे दीना पाछे बादल दिखे अ र
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काल रात नै वे बरसे भी....
चने इब्काल शायद खूब होंगे सन १९९८ में म्हारे खेत में गाम में सब तें घणे चने होए थे एक किले में १९ मन के हिसाब तें। मेरा दादा कह्या करदा अक जाई सही -सही मावठ हो जा तै किले के २५ मन के हिसाब तै चने म्हारे सिमाने में होयोड़े सें.
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में जिद छोटी थी तो मेरी दादी सतीं चने के खेत में गई थी। गाम में सुण-सामण
होया करदा अक चना के खेत मं लुगाई लामन ( दामन की गोंठ) आवें तो चने खूब होवें. तो में मेरी दादी सतीं लामन फिरवान गई थी के ठसक चाल थी मेरी दादी की जुटी पहर कीं सोपली की बुकल मार की, बालू रेट के राह में
मचड़ - मचड़ चाले थी। इसे-इसे
सुण-
सामण तो बढ़िया थे सैर भी होज्या आर खेत की रुखाली भी.
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तो फेर काल राम नै चना के खेत में मावठ लाये दी ,चालो यो तो ठीक होया।
मेरा ईसा जी करे सै अक में एक हरियाणवी गुडिया बनाऊं अर उसके सारे लते सीम कीं पहराऊं ठेठ मेरी दादी बारगे आर उसका चुटला भी गुन्दुं.
रामराम!
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