Monday, August 30, 2021

नीले घोड़े वाले हमारे घर आ जाना | श्री जाहरवीर जी महाराज Beautiful भजन b...

Happy Janmaashtami






thumak chalat Ramchandra by Lata Mangeshkar Original

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां

किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय 
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ॥

अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि ।
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ॥

विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर ।
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ॥

तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद ।
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ॥

 यूएसए के बोस्टन का वो पेड़ जहां श्रील् प्रभुपाद खड़े होकर भगवत गीता पर उपदेश देते थे और कीर्तन करते थे। इस पेड़ का नाम उनकी याद में हरे कृष्णा ट्री रखा गया। आज भी इस्कॉन के भक्त इस पेड़ को देखने जाते हैं

A._C._Bhaktivedanta_Swami_Prabhupada

 

Founder and Acharya of the International_Society_for_Krishna_Consciousness (ISKCON)

Krishna’s Messiah: ISKCON Founder, Srila Prabhupada's 125th Birth Anniversary

The Government of India will release a commemorative coin of the value Rs 125 in the honour of the founding Acarya of ISKCON. A booklet on the contributions and achievements of Srila Prabhupada will be featured with each coin in a commemorative box. The coin will be composed of silver and copper

 

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

XOXO




Janmashtami



Happy Janmashtami to all of you!




कान्हा, कान्हा आन पड़ी में तेरे द्वार - शागिर्द (devotional song of Lord Krishna).
As per the Hindu calendar, Lord Krishna was born on Ashtami (8th day of the month) of Krishna Paksha (the period of fading moon) in the holy month of Shraavana. He was the eighth son of Vasudeva and Devaki, the sister of Mathura’s brutal king Kansa. When Kansa learned about the prophecy that Devaki’s eighth son would be the cause of his death, he locked up both Vasudeva and Devaki in a prison cell. Each of their children met with the same fate: death in the hands of Kansa.

This was until their eighth son was born. As per the instructions of a divine voice, Devaki 's husband carried Krishna on his head and walked all the way from Mathura to Vrindavan which was to be a safe haven for the newborn child. Yashoda and Nand took care of Krishna during his childhood days in Vrindavan. Krishna’s acts of mischief and heroism, his encounter with Kansa and other monsters, his fame as Makhanchor (one who steals butter), etc. are popular across the country.



Dahi Handi (curd pot)

One of the spectacles of the celebration is Dahi Handi, an event that narrates the story of young Krishna as Makhanchor. Handi or an earthen pot is filled with white butter, ghee, dry fruits, and milk. It is then hung with ropes at some height from the ground. As people gather around it to witness the moment, the young boys in the locality would form a human pyramid, climb up to the Handi and break it.

xoxo

Sunday, August 29, 2021

ऊन के टुकड़े + सुखी टहनीयां = गुलदस्ता



My article got published in Hindi magzine (Delhi Press Publications)Sarita in July,2021 

यहाँ पर आपके ड्राइंग- रूम की मेज की सजावट के लिए एक बहुत ही सुन्दर तरीका बताया जा रहा है. आपके ड्राइंग रुम को सजाने के लिए एक बेहतरीन तरीका है यह. आप रंगीन धागे अथवा ऊन को  कुछ टहनियों पर लपेट कर उन्हें किसी फूलदान में डाल कर रख सकती हैं.

मैंने अपनी कुछ बची-खुची ऊन ली और उन्हें टहनियों पर लपेट दिया और टहनियों को टेरा-कोटा के इस गुलदस्ते में डाल दिया. 

आप भी बनाइये कुछ ऊन के टुकड़े और सुखी टहनियों को लेकर, ऊन को टहनी के निचले हिस्से पर बाँध दें फिर उसे टहनी पर लपेटती जाएँ, हो गई ऊन-टहनी की कलाकृती तैयार और लुटिये वाह-वाही आपने मेहमानों,रिश्तेदारों से!  


गर्मियों में घर को सजाने का इससे आसान तरीका और क्या होगा?

पेड़- पौधों की सुखी डंडियों पर रंगीन ऊन लपेट कर, ढेर सारी रंगीन डंडियों को किसी भी फूलदान या टेरा-कोटा के बर्तन में खोंस दें,फिर देखें  आपके कमरे का कोना कितना रंगीन हो खिल उठेगा.

   इस बार मेरे परिवार, रिस्तेदारी में पांच बच्चे पैदा होने वाले थे,उन सब बच्चों की माओं  के लिए मुझे कोई कोई गिफ्ट देना था.  जाहिर है मेरे जैसी हाथ से काम करनेवाली को स्वेटरों, मौजों, टोपियों, कम्बलों के सिवाय और क्या बनाना था. सो मेरी पूरी सर्दियां टी. वीके आगे बैठ रंग-बिरंगी ऊन सलाइयां, क्रोशिया की टोकरी पास में रख, यही सब 'आर्टीफैक्टस' बनाने में बीतीं. हर आइटम को बना कर मैं गिफ्ट पैक करती रही और उस पास रखी टोकरी में बची-खींची ऊन के टुकड़ों का ढेर लग गया.

कल उस उन के टुकड़ों का ढेर देख मेरे मन में एक ख्याल आया कि इन टुकड़ों का मैं जरूर कोई-- कोई उपयोग करूंगी    शाम को घर की बगिया में मेरी नजर कुछ सुखी टहनियों पर पड़ी जो पौधों की काट-छंट के बाद सूखने के लिए रखी थीं कि कहीं पर इनका  उपयोग करूंगी.

झट से ध्यान आया कि  इन टहनियों पर उन रंगीन ऊन के टुकड़ों को लपेट कर इन्हें रंगीन बनाउंगी. देखिये निचे की तस्वीर में इन रंगीन ऊन की टहनियों को, कैसी खूबसूरत  लग रही हैं

आप भी बनाइये ऊन की टहनियों का गुलदस्ता वो भी बेकार पड़ी काम आने वाली चीजों  का उपयोग करइस से आप घर सजावट के पैसों में बचत करेंगी और साथ ही पर्यावरणवीद  हो जाएंगी! जी हाँ! क्या आप जानती हैं कि यह कचरा बाहर ना फैंक कर  आप धरती पर कूड़े के ढेर को कम करेंगी चाहे आपका यह प्रयास समुन्द्र में एक बूंद भी क्यों  हो. इसका अच्छा असर ज़रूर पड़ेगा. 



इस गुलदस्ते के लिए आपको जरूरत है :

कुछ सूखी  टहनियाँ/शाखाएं ( आकार और संख्या आपके फूलदान या अन्य बर्तन के आकार के अनुसार)  

 रंगीन ऊन के टुकड़े, गोंद , और कैंची .

आप को दिखाई नहीं पड़ रहा होगा कि मैंने एक ही रंग की  ऊन के टुकड़ों को भी गाँठ बाँध कर जोड़ रखा है. यह छोटे- छोटे उभार लपेटे हुए सुन्दर लग रहे हैं. मैंने 4-6 इंच के टुकड़ों को भी जोड़ रखा है. 

 टहनी पर नीचे से ऊन लपेटते समय आपको गोंद लगाने की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए ऊन  के सिरे को ऊपर कर दो-तीन बार लपेटिये और फिर ऊपर की तरफ लपेटते जाईये ऊपरी छोर पर ऊन को टहनी से गोंद की सहायता से चिपकाएं और ऊन तोड़ दें.

 एक टहनी को दो-तीन रंगों की ऊन से लपेटते समय, पहले एक रंग की ऊन को - इंच तक लपेट लें फिर दूसरे रंग की ऊन के किनारे को टहनी के ऊपर की तरफ पकड़ कर पहली ऊन के किनारे को भी दबा लें और ऊपर की और ऊन लपेटती जाएँ। इसी तरह तीसरा और चौथा रंग टहनी पर लपेटें.

अब  इन  टहनियों  को इनके आकार के अनुसार छोटे या बड़े किसी भी कांच, टेरा -कोटा या लकड़ी के फूलदान में डाल कर मेज या कमरे के कोने में रखें आपका कमरा खिल उठेगा.

इस गुलदस्ते के लिए आपको जरूरत है : 
कुछ सूखी  टहनियाँ/शाखाएं ( आकार और संख्या आपके फूलदान या अन्य बर्तन के आकार के अनुसार)   
 रंगीन ऊन के टुकड़े, गोंद , और कैंची .
आप को दिखाई नहीं पड़ रहा होगा कि मैंने एक ही रंग की  ऊन के टुकड़ों को भी गाँठ बाँध कर जोड़ रखा है. यह छोटे- छोटे उभार लपेटे हुए सुन्दर लग रहे हैं. मैंने 4-6 इंच के टुकड़ों को भी जोड़ रखा है.  
 टहनी पर नीचे से ऊन लपेटते समय आपको गोंद लगाने की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए ऊन  के सिरे को ऊपर कर दो-तीन बार लपेटिये और फिर ऊपर की तरफ लपेटते जाईये ऊपरी छोर पर ऊन को टहनी से गोंद की सहायता से चिपकाएं और ऊन तोड़ दें.
 एक टहनी को दो-तीन रंगों की ऊन से लपेटते समय, पहले एक रंग की ऊन को ३-४ इंच तक लपेट लें फिर दूसरे रंग की ऊन के किनारे को टहनी के ऊपर की तरफ पकड़ कर पहली ऊन के किनारे को भी दबा लें और ऊपर की और ऊन लपेटती जाएँ। इसी तरह तीसरा और चौथा रंग टहनी पर लपेटें.
अब  इन  टहनियों  को इनके आकार के अनुसार छोटे या बड़े किसी भी कांच, टेरा -कोटा या लकड़ी के फूलदान में डाल कर मेज या कमरे के कोने में रखें आपका कमरा खिल उठेगा.

my inspiration today

DÜNYANIN EN GÜZEL MİNDERİ! (Artan Kumaşlarla Minder Yapımı) DIY Bubble P...

xoxo

Haryanvi Folk Song,wooden board to stack quilts in winters



The girl tells her husband that if you fight with me, I will get you beaten up by my friends.




जै मेरी गैल्या करै लाडाई 🌹🌹 सखियां पै पिटवा दूगी 🙏🙏


 i will show this board with quilts on it winters
its size 48"/38"/4"


XOXO

Wednesday, August 25, 2021

Rabri, haryanvi apetizer

     मेरी दादी और मेरी मम्मी राबड़ी बनाती थी सच पूछूं तो मैंने राबड़ी कभी नहीं बनाई इस बार गर्मियों में जरूर बनाउंगी देखिये इसे बनाने की विभिन्न विधियां 
राबड़ी

राबड़ी जाटों का मुख्य पेय है. राबड़ी कोई बियर का नया ब्रांड नही है. ये एक अमृत है गर्मी से निजाद पाने के लिए. राबड़ी राजस्थान और हरयाणा का प्रमुख पेय है जो कि काफी लोकप्रिय और सस्ता भी है और स्थानीय रूप से आसानी से तैयार हो जाता है. राजस्थन में जहा 45-50 डिग्री तापमान रह्ता है वहां ये वरदान है. लू के थपेड़ों में भी लोग इसको पी कर दोपहर में आराम से सोते है. यह गरमी के मौसम में अधिक प्रयोग की जाती है. जो पहली बार राबड़ी पिएगा, एक गिलास मे बेहोश नींद में सो जाएगा. आजकल राबड़ी पाँच सितारा होटलों मे भी उपलब्ध है और विदेशी पर्यटक बड़े चाव से राबड़ी का लुत्फ उठा रहे है. इस राबडी के साथ बाजरे की रोटी चूर कर खा सकते हैं या ठंडी राबडी में छाछ या दही और जीरा मिलाकर पी सकते हैं.

राबड़ी के फायदे ही फायदे हैं:-

* यह तनाव कम कम करती है
* इससे नींद अच्छी आती है
* कभी लू नही लगती है
* ब्लड प्रेशर नही होता है
* अस्थमा में भी लाभदायक है
* भूक अच्छी लगती है
* पेट की हर बिमारी में लाभ दायक है

राबड़ी बनाने की विधि

राबड़ी तीन प्रकार की होती है.

* खाटे की राबड़ी
* छाछ की राबड़ी
* कुटेड़ी राबड़ी

खाटे की राबड़ी

यह राबड़ी बनाने के लिए २०० ग्राम बाजरे के आटे में ५० ग्राम मोठ का आटा मिलाएँ तथा लगभग २५० ग्राम छाछ में मिट्टी की हांडी में पाँच मिनट तक हाथ से फेंटें. इसमें ५ लीटर हलका गुनगुना पानी मिलाएं. इस घोळ को दोपहर को धूप में रखें. साम ५ बजे तक इसमें खमीर आ जाता है तब इसका पानी कपड़े से छानलें. नीचे जमा आटा अलग रख लें. निथारे पानी को आग पर चढा कर स्वाद के अनुसार नमक डालें. पानी जब उबलने लगे तब अलग रखे आटे को उबलते पानी में डाल कर लगभग २-४ मिनट पकाएं और साथ साथ लकडी के चाटू से हिलाते रहें ताकि गठान न पडें. इसमें दो-तीन उफान आजायें तब गाढ़ी होने पर उतार लें. यदि ज्यादा गाढ़ी हो जाए तो थोड़ा छाछ मिला लें . राबडी तैयार. अगर बाजरे का आटा या मोठ नही मिले तो गेंहू का आटा भी चल सकता है पर जो मजा बाजरे और मोठ के आटे की राबडी में है वो नही मिलेगा.

छाछ की राबड़ी

एक लीटर छाछ में लगभग २०० ग्राम बाजरे का आटा मिलाकर आग पर चढावें और धीरे धीरे लकड़ी के चाटू से हिलाते रहें. जब यह गाढी हो जाए और उफनने लगे तब नीचे उतार कर स्वाद के अनुसार नमक मिलावें. यदि गाढी ज्य्य्यादा हो जाए तो इसमें ठंडा छाछ और मिलावें. यह राबडी प्राय शर्दी के मौसम में खाई जाती है. साम को गरम गरम खाई जाती है और सुबह इसमे ठंडी में दही मिलाकर बाजरे की रोटी के साथ खाया जाता है.

कुटेड़ी राबडी

एक लीटर छाछ के लिए २०० ग्राम साबूत बाजरा भिगोयें. ३ घंटे बाद चलनी से पानी निकाल कर ओखली में मूसल से बाजरा कूटें. कूटने से बाजरा जब सफ़ेद दिखने लगे और आधा फूट जाए तो एक लीटर छाछ में लगभग २०० ग्राम कूटे बाजरे को मिलाकर आग पर चढावें और धीरे धीरे लकड़ी के चाटू से हिलाते रहें. जब यह गाढी हो जाए और उफनने लगे तब नीचे उतार कर स्वाद के अनुसार नमक मिलावें. यदि गाढी ज्यादा हो जाए तो इसमें ठंडा छाछ और मिलावें. यह राबडी प्राय शर्दी के मौसम में खाई जाती है. साम को गरम गरम खाई जाती है और सुबह इसमे ठंडी में दही मिलाकर बाजरे की रोटी के साथ खाया जाता है. साम को गरम गरम खाई जाती है और सुबह इसमे ठंडी में दही मिलाकर बाजरे की रोटी के साथ खाया जाता है.


xoxo

Tuesday, August 24, 2021

Dining Room Table Makeovers


There are so many different things you can do to revive an old table.  Take a look at these fresh ideas for a table makeover!  Here are just a few of my favorites.

             Dress up a round table with a floor-length table cloth and a glass top. Add seat covers to the chairs.

             For an eclectic look, collect a group of mismatched yet coordinating chairs to add some spunk to your dining room.

             Get creative with paint—add a pop of color to your kitchen or dining room by giving your kitchen table a fresh coat of colorful paint. You could paint just the legs, just the top, or the whole table. If bright colors aren’t your thing, a new coat of white, black, or neutral color can freshen up the room too!

             If you really want something bold and eye-catching, try stenciling designs on the table top.

             Start from scratch and build your dining room table from the ever-amazing PALETTE!

             Don’t forget you can freshen up the dining room table without replacing or refurbishing it. You can add table top accessories like table cloths, table runners, and centerpieces,flower arrangements.

Monday, August 23, 2021

HARYANVI FOLK SONG

 When  her relatives were looking for a groom for the girl's marriage, the girl could not say anything to the men of her house.
In this song she tells her mother to marry her  with an educated boy.



मनै पढ़े लिखे के ब्याहिये मेरी माँ - ..........
XOXO

Saturday, August 21, 2021

सुन्दर गीत!Cooking hints---for home makers






 

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Sunday, August 22, 2021

 

Cooking hints---for home makers

 


 

Every home maker knows that the well being of her family is in her hands. 

Her menu may make or mar her husband’s ambition as a provider. 

Her happiness in marriage may be in direct ratio to what she knows about

foods and how she employs that knowledge.


Every home maker knows that the well being of her family is in her hands. 

Her menu may make or mar her husband’s ambition as a provider. 

Her happiness in marriage may be in direct ratio to what she knows about

foods and how she employs that knowledge.

 

 

Home-maker can preserve the greater part of the precious vitamins and minerals of the food stuffs.  Here are some useful points for home maker.

n  Vegetables to be cooked should be washed and chilled.  The chilling prevents the enzymes from causing deterioration of vitamins during preparation.

n  No vegetables should be peeled unless it is so old that the peeling is tough and unpalatable.  In most root vegetables, the largest amount of minerals is directly under the skin, and these are lost if the food is pared.

n  Soaking must be avoided if taste and nutritive values are to be preserved.

n  If vegetables must be prepared several hours prior to cooking, they should be placed in a plastic bag and kept in the refrigerator without water.

n  Potatoes for mashing and apples for sauce should be steamed in the peeling and then seen through a pureer or ricer.

n  Temperature below the boiling point - accelerates enzyme action.  The greatest destruction of vitamins, therefore, occurs between the time food is first  put on the heat and the time when it reaches the boiling point.  This period should be shortened as much as possible.  As soon as the boiling point is reached, the enzymes are destroyed, and the vitamin loss is decreased.

n  A desirable method of cooking must three qualifications; first the food must be rapidly heated: second the cooking time must be the shortest possible, and third, little or no water must be used.

n  Of all cooking equipment now in use, utensils which allow quick steaming are perhaps the most desirable.  In this method, air is replaced by steam, the initial heating is rapid, little or no water is used and the cooking time is short.

n  Shred or snitzel the vegetables and cook them in small pots, covered to prevent air from getting in and steam from escaping.  Keeping air out prevents the destruction of vitamins which distributes the heat from the bottom to the sides and lid.  The vegetables do not burn and you can cook with little or no water.

n  Never, never throw away any liquid in which vegetables have been cooked.  It contains many vitamins and minerals.

n  Examine your recipes critically, and if they do not respect the above rules of modern cookery either improve them or discard them.  Beware of any recipe which advises either soaking or parboiling and discarding the water.  Never use soda in cooking vegetables or in your baking .  if a slow method of cooking is recommended, substitute a faster one whenever possible.  Above all else, do not over cook.

n  The health of your family is in direct proportion to the soundness of your cooking methods.

xoxo