राबड़ी लस्सी में बाजरे का आटा और थोड़ा सा मोठ का आटा मिला कर बनाई जाती है इसे खाया भी जाता है और पिया भी जाता है. इसे गर्म और ठंडा दोनों तरह से खाया जाता है
एक मिटाती के बर्तन में लस्सी में बाजरे और मोठ का आटा मिला इस के मुँह पतला कपड़ा बाँध पर कर धूप में दिन भार के लिए रख दिया जाता ही. शाम तक घोल के ऊपर पानी आ जाता है. इस पानी को उबल लिया जाता है, फिर उसमें नीचे का बाज्रेऔर मोठ का घोल दल कर फिर से पकाया जाता है उबल आने के बाद इस घोल को धीमी आँच पर थोड़ी देर तक पकाते है...गर्म खाने पर दस्त हो सकते है अत; यह गर्मियों में ठंडी ही पी जाती है इसे लस्सी मिला कर पतला कर लिया जाता है. और सुबह बाजरा की रोटी के साथ परोसा जाता है.
राबड़ी हरियाणा के गांव की एक ख़ास पहचान है स्थानीय लोग इसे बहुत पसंद करते हैं और चाव से खाते हैं आजकल इसे पाँच सितारा होटलों में भी परोसा जाता है.
राबड़ी के फायदे
- यह टैंसन दूर करती है और ब्लड प्रेसर भी कम करती है.
- इस से नींद बहुत अच्छी आती है
- यह अस्थमा में लाभकारी है.
- पाचक क्रिया दुरुस्त करने में सहायक है
- पेट की बीमारियाँ दूर करती है
- यह पत्थरी से पीड़ित रोगियों को लाभ पहुँचाती है
शब्बा खैर!
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