मेरी एक सहेली ने बताया कि जब वह् अमेरिका में थी तो उसने अपनी एक अमेरिकन दोस्त को खाने पर बुलाया और शुद्ध हरियानवी खाना खिलाया. वह् अमेरिकन हैरान! उसने बाजरे की रोटी ताजा मक्खन के साथ, खेलरों का साग, लहसुन की चटनी और लस्सी....उसे लगा कि यह क्या? वह् कई हिंदुस्तानियों के यहाँ खाने पर गई है और उसने सभी के घरों में अलग-अलग खाना पाया!
बहर- हाल हिंदुस्तान के अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग खानों की बात तो छोड़िये ......
मैंने हरियाणा के अपने गाँवों तक में अलग-अलग किस्म की रोटियाँ खाई हैं उदाहरण के तौर पर मेरा गांव जो भिवानी जिले में पड़ता है वहां वर्ष के अधिकतर महीनों में बाजरे की रोटियाँ खाई जाती थीं, और गर्मियों में गेहूँ और चने की मिस्सी रोटियाँ. अकाल के दिनों में जौ की रोटियाँ बनती थीं जौ का छिलका उतार कर उसे पिसवा लिया जाता था. छिलका उतारे हुए जौ को घाट कहते हैं उसकी रोटियाँ भी हम बहुत खाते थे.
मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, चने, गेहूँ, और सोयाबीन का आटा |
मेरे ननिहाल में जोकि हांसी तहसील में पड़ता है ज्यादतार गेहूँ की रोटियाँ ही बनती थीं. मेरी माँ के ननिहाल (जो कि टोहाना तहसील में पड़ता है) में जहाँ कि हम बचपन में बहुत जाया करते थे मक्की की रोटियाँ बनती थीं.
जब मेरी शादी हुईवह गांव हिसार जिले में है तब मेरी सास- माँ बताती थी कि वहां पर पहले हमेशा ज्वार की ही रोटियाँ बनती थी.
मेरे पिताजी को मोठ (मोठ हमारे बारानी गांव में खूब होता था) की रोटियाँ बहुत अच्छी लगती थीं ....सो जब हम आगरा में रहते थे तब हमारे घर मोठ की रोटियाँ बनती थीं. हमारे बारानी गांव में चने बहुत होते थे तो यदा -कदा खालिस चने की रोटियाँ भी हमारे यहाँ बन जाती थी जो मुझे लहसुन की चटनी के साथ अब भी खानी बहुत अच्छी लगती है.
मक्की,बाजरा,चने, ज्वार,जौ, सोयाबीन और बीच में गेहूँ |
तो फिर पूरे हिंदुस्तान की तो बात ही क्या कहें जब अकेले हरियाणा में ही महज थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ही खाने -पीने में इतनी भिन्नता है.
अब मैं अपने घर की बात कहूँ तो.............मैं अपने आटे में सोयाबिन और चना गेहूँ के साथ तो हमेशा ही मिलाती थी ..परन्तु पिछले कुछ वर्षों से यह सात किस्म का अनाज पिसवा कर आटा बनाती हूँ और मैं यह सभी अनाज अलग-अलग पिसवाती हूँ ताकि कभी-कभी मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, चने अथवा खालिस गेहूँ की रोटियाँ बनाई जा सकें सबका स्वाद अलग होता है और वह् खाने में अच्छी लगती हैं. आमतौर पर मैं सभी किस्म के आटे मिला कर ही रोटियाँ बनाती हूँ..
कृपया पढ़ कर जरूर प्रतिक्रिया दें ..
आपका इंतज़ार रहेगा.
शब्बा खैर!!!!!!!!
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